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आज के दिन दिग्‍गज तबला वादक पंडित किशन महाराज का हुआ था जन्‍म, जानिए आज का इतिहास

नई दिल्ली: किशन महाराज का जन्म काशी के कबीरचौरा मुहल्ले में 3 सितंबर 1923 में एक संगीतज्ञ के परिवार में हुआ। कृष्ण जन्माष्टमी पर आधी रात को जन्म होने की वजह उनका नाम किशन पड़ा। उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों में पिता पंडित हरि महाराज से शास्त्रीय संगीत की ज्ञान प्राप्त की। पिता के मृत्यु होने […]

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Kishan Maharaj
  • September 3, 2022 11:47 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: किशन महाराज का जन्म काशी के कबीरचौरा मुहल्ले में 3 सितंबर 1923 में एक संगीतज्ञ के परिवार में हुआ। कृष्ण जन्माष्टमी पर आधी रात को जन्म होने की वजह उनका नाम किशन पड़ा। उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्षों में पिता पंडित हरि महाराज से शास्त्रीय संगीत की ज्ञान प्राप्त की। पिता के मृत्यु होने के बाद उनके चाचा एवं पंडित बलदेव सहाय के शिष्य पंडित कंठे महाराज ने उनकी शिक्षा के आगे बढ़ाने में योगदान दिया।

किशन महाराज ने कई दिग्गज साथ संगत की

किशन महाराज ने तबले की थाप की यात्रा शुरू करने के कुछ साल के अंदर ही कई दिग्गज के साथ संगत की। उन्होंने कई बार संगीत की महफिल में एकल तबला वादन भी किया। इतना ही नहीं नृत्य की जगत् के महान हस्ताक्षर शंभु महाराज, सितारा देवी, नटराज गोपी कृष्ण के अलावा बिरजू महाराज के कार्यक्रमों में भी उन्होंने तबले पर संगत की। उन्होंने एडिनबर्ग और साल 1965 में ब्रिटेन में कॉमनवेल्थ कला समारोह के अलावा कई अवसरों पर अपने कार्यक्रम प्रस्तुत कर प्रतिष्ठा अर्जित की। उनके शिष्यों में वर्तमान समय के जानेमाने तबला वादक पंडित बालकृष्ण अय्यर, पंडित कुमार बोस, सुखविंदर सिंह नामधारी सहित कई नाम शामिल हैं।

द्मविभूषण से सम्मानित किये गये किशन महाराज

किशन महाराज को साल 2002 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें साल 1973 में पद्मश्री, साल 1984 में केन्द्रीय संगीत नाटक पुरस्कार, साल 1986 में उस्ताद इनायत अली खान पुरस्कार, दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार के अलावा ताल विलास के अलावा उत्तरप्रदेश रत्न, भागीरथ सम्मान, उत्तरप्रदेश गौरव भोजपुरी रत्न और लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा गया।

3 सितंबर का इतिहास

1950: एमीलियो नीनो फरिना F1 वर्ल्‍ड चैपिंयन बने।
1939: जर्मनी के पोलैंड पर चढ़ाई करने के 2 दिन बाद ब्रिटेन-फ्रांस ने उसके खिलाफ जंग का ऐलान किया था।
1984: दक्षिण फिलिपीन्स में आये एक भयानक तूफान की वजह से क़रीब 1300 मारे गए थे।
2004: तीन दिन से अपहरणकर्ताओं के कब्‍जे से रुसी सैनिकों ने स्कूल मुक्त किया था।

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