नई दिल्ली। भारत अपने आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वहीं 1 फरवरी यानी आज देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश कर रही हैं। आज का पूरा दिन देश के बजट के नाम रहेगा। आइए आपको बताते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसी कितनी परंपराओं को खत्म किया है, जो की देश की गुलामी के समय से चली आ रही थी।
जब से केंद्र के सत्ता में भाजपा की मोदी सरकार आई है। तब से उन्होंने बजट के दौरान होने वाली ऐसी कई सारी परंपराओं को खत्म किया है, जो कि देश के गुलामी के वक्त से चली आ रही थी। कई बड़े अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इन फैसलों से देश को कई फायदे भी हुए हैं।
पहले बजट को फरवरी माह के अंतिम तिथि को पेश किया जाता था। इसका मतलब की बजट 28 या 29 फरवरी को पेश होता था। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2017 से बजट को 1 फरवरी के दिन पेश करने लगे।
बता दें कि बजट को पेश करने के लिए ब्रीफकेस परंपरा का चलन था। लेकिन ये आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी थी। ये पिछले 200 सालों से चली आ रही थी। ये एक ब्रिटिश कल्चर था जो 1800 से शुरु हुआ था। ब्रिफकेस बजट को पेश करने की शुरुआत विलियम इवर्ट ग्लैडस्टोन ने की थी। उस समय वो लाल ब्रीफकेस में बजट को लाया करते थे। लेकिन इस परंपरा को भी बदल दिया गया और साल 2019 से केंद्र सरकार ने चमड़े की ब्रीफकेस में बजट लाने की परंपरा का त्याग कर दिया और तब से उसके जगह लाल कपड़े में बही-खाता के रूप में बजट पेश होने लगा।
इसके अलावा अंग्रेजों के जमाने से रेल-बजट और आम बजट अलग-अलग पेश होता था। ये परंपरा साल 1924 से चली आ रही थी। लेकिन साल 2017 में इसमें भी बदलाव किया गया और रेल बजट और आम बजट को अलग-अलग के बजाय एक में पेश किया गया। तब से रेल बजट और आम बजट एक में ही पेश होता है।
केंद्र की मोदी सरकार ने भारत को डिजिटल बनाने पर ज्यादा फोकस किया है। इसी को बढ़ावा देने के लिए साल 2021 और 2022 में डिजिटल बजट पेश किया गया। इससे पहले प्रत्येक वर्ष बजट की छपाई की जाती थी।
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