नई दिल्ली: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। यह तिथि विशेष तौर पर स्नान, दान, और पूजा के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा […]
नई दिल्ली: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। यह तिथि विशेष तौर पर स्नान, दान, और पूजा के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, जिससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में।
कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गंगा स्नान और दीपदान का विशेष महत्व है, और इसे करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। इसके साथ ही इस दिन दान और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद मिलता है।
आज के दिन कार्तिक पूर्णिमा का प्रारंभ 15 नवंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 16 नवंबर की रात 02 बजकर 58 मिनट बजे होगा। अतः, कार्तिक पूर्णिमा का स्नान-दान और पूजा का श्रेष्ठ समय सुबह का समय है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्योदय के समय किया गया स्नान और दान अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। पूजा का समय- सुबह 06 बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक है।
1. प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।
2. स्नान करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
3. घर पर ही स्नान कर रहे हों, तो जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और भगवान शिव और विष्णु को स्मरण करें।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान देने का विशेष महत्व है। दान में अनाज, कपड़े, घी, तेल, गुड़, और अन्न देना शुभ माना गया है। इसके साथ ही दीप जलाकर भगवान का ध्यान करें और किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान व्यक्ति के जीवन में पुण्य फल प्रदान करता है और उसकी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
1. स्नान के बाद भगवान शिव, भगवान विष्णु और तुलसी के पौधे की पूजा करें।
2. पूजा स्थल पर दीपक जलाएं और भगवान का ध्यान करें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
3. भगवान को फूल, फल, धूप और दीप अर्पित करें और प्रसाद में मिठाई चढ़ाएं।
4. भगवान शिव को बेलपत्र और विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करें।
5. अंत में आरती करें और अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
आज के दिन रात्रि के समय दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है। घर के आंगन, मंदिर, और तुलसी के पौधे के पास दीप जलाएं। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी बाधाओं का नाश होता है।
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