नई दिल्ली: आज, 31 अक्टूबर, को भारत देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का बलिदान दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन, भारतीय जनता अपनी महान नेता और पहले महिला प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व से देश को एकजुट किया। कौन थीं इंदिरा गांधी? इंदिरा गांधी का जन्म […]
नई दिल्ली: आज, 31 अक्टूबर, को भारत देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का बलिदान दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन, भारतीय जनता अपनी महान नेता और पहले महिला प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करती है, जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व से देश को एकजुट किया।
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता, पंडित जवाहरलाल नेहरू, स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इंदिरा नेहरू गांधी को राजनीति की सीख अपने पिता से मिली और इसी कारण राजनीति में उनकी गहरी रुचि रही। 1966 में वह भारत की प्रधानमंत्री बनीं और 1984 तक विभिन्न कार्यकालों में इस पद पर बनी रहीं।
इंदिरा गांधी को उनकी ताकतवर नीतियों और साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी निर्णायक भूमिका ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई। इसके अलावा, उन्होंने देश में हरित क्रांति की शुरुआत की, जिसने भारत को कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। उनकी आर्थिक और सामाजिक नीतियां गरीबों और किसानों को सशक्त बनाने पर केंद्रित थीं। इंदिरा गांधी के योगदान को आज भी भारतीय जनता याद करती है। वे एक दृढ़ निश्चयी और सशक्त नेता थीं जिन्होंने अपने साहस और नेतृत्व से देश को एक नई दिशा दी। उनके बलिदान को हमेशा देशवासी सम्मान और गर्व के साथ याद करते रहेंगे।
31 अक्टूबर 1984 का दिन भारतीय इतिहास में एक दुखद दिन है। इस दिन इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी। इस घटना के पीछे का कारण ऑपरेशन ब्लू स्टार था, जिसे इंदिरा गांधी ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी दी थी। इस ऑपरेशन के बाद, कई लोग उनसे नाराज हुए और इसी के चलते उनकी जान चली गई।
इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद भी उनका प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर बना हुआ है। उनकी नीतियां और विचारधारा आज भी कांग्रेस पार्टी और कई राजनीतिक नेताओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इंदिरा गांधी को भारतीय महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा माना जाता है, जिन्होंने उनकी ताकत और आत्मविश्वास से सीखा कि समाज में एक महिला भी नेतृत्व कर सकती है।
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