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आज है बाल दिवस, जानिए कैसे हुई इसकी शुरुआत और भारत में बच्चों के 10 अधिकार

नई दिल्ली: भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के अवसर पर बच्चों के प्रति उनके प्रेम और स्नेह को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। पंडित नेहरू, जिन्हें बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहकर बुलाते थे, उनका मानना था कि बच्चों में देश का भविष्य है और उनकी खुशहाली से ही समाज का विकास संभव है।

कैसे हुई बाल दिवस की शुरुआत?

बाल दिवस की शुरुआत का श्रेय पंडित नेहरू को ही जाता है। भारत में पहले 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था, जो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा बच्चों के अधिकारों और कल्याण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए तय किया गया था। लेकिन 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद, उनकी जयंती पर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया गया ताकि उनके प्रति सम्मान और बच्चों के प्रति उनके लगाव को बनाए रखा जा सके।

पंडित नेहरू और बच्चों का विशेष लगाव

पंडित नेहरू का मानना था कि बच्चे मासूम, सरल और रचनात्मक होते हैं, जो दुनिया में अच्छाई की ओर अग्रसर होते हैं। उन्होंने कई ऐसे कार्यक्रम और नीतियां बनाईं, जिनका उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना था। उन्होंने स्कूलों और बाल केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहन दिया और शिक्षा को हर बच्चे के लिए सुलभ बनाने का समर्थन किया।

बच्चों के 10 अधिकार

1.समानता का अधिकार: भारत में कानून के तहत हर बच्चे को समान व्यवहार और सुरक्षा का अधिकार है (अनुच्छेद 14)।

2. भेदभाव के खिलाफ अधिकार: भारत में जन्म स्थान, धर्म, जाति, लिंग और नस्ल आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए (अनुच्छेद 15)।

3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार: भारत में सभी बच्चों को सुरक्षा, जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार है (अनुच्छेद 21)।

4. शोषण से सुरक्षा का अधिकार: भारत में सभी बच्चों को बंधुआ मजदूरी से और तस्करी से बचाया जाना चाहिए (अनुच्छेद 23)।

5. मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार: भारत में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार 6 से 14 वर्ष के बच्चों को है (अनुच्छेद 21A)।

6. खतरनाक रोजगार से सुरक्षा का अधिकार: भारत में खतरनाक नौकरियों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को काम पर नहीं रखा जा सकता (अनुच्छेद 24)।

7. विकास का अधिकार: भारत में बच्चों को समग्र विकास, स्वास्थ्य सेवा और पोषण का अवसर मिलना चाहिए (अनुच्छेद 39(f))।

8. भागीदारी का अधिकार: भारत में उन मामलों में बच्चों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है जो उन्हें प्रभावित करते हैं। बच्चों की राय को महत्व दिया जाना चाहिए (विभिन्न बाल अधिकार ढांचे के अनुसार)।

9. पहचान का अधिकार: भारत में हर बच्चे को पारिवारिक संबंधों, राष्ट्रीयता और नाम का अधिकार है।

10. सुरक्षित वातावरण का अधिकार: भारत में हर बच्चे को सभी प्रकार के दुर्व्यवहार, हिंसा और शोषण से बचाया जाना चाहिए।

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Shweta Rajput

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