Ayodhya Ram Mandir: भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड विशेष

नई दिल्ली: आज यानि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और 22 जनवरी […]

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Ayodhya Ram Mandir: भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड विशेष

Shiwani Mishra

  • January 22, 2024 7:43 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली: आज यानि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा है. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, और 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में भगवान राम को मंदिर के गर्भगृह में विधि-विधान के साथ स्थापित किया जायेगा, और उसके बाद सभी भक्त दर्शन का आनंद ले सकेंगे. बता दें कि 22 जनवरी यानि आज को शुभ मुहूर्त में अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा. अयोध्या में प्रतिष्ठा अनुष्ठान 16 जनवरी को शुरू हुआ और आज भी जारी है, तो आइए जानें अयोध्या में राम मंदिर के अभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व और इसके लिए 22 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया.

प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का शुभ मुहूर्तरामलला की मूर्ति का श्रृंगार, पंचांग-कलश-नवग्रह पूजन, 84 सेकंड का अभिजीत मुहूर्त... जानिए प्राण प्रतिष्ठा की रस्में - ayodhya ram mandir prana pratishtha ram ...

अयोध्या मंदिर में भगवान राम के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से लेकर 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड का शुभ मुहूर्त निर्धारित हुआ है, दरअसल ‘प्रतिष्ठित परमेश्वर’ मंत्र के उच्चारण और विधि-विधान के साथ भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. साथ ही इसी मुहूर्त में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. इस तरह से प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का समय बेहद खास है. हिंदू धर्म में किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करना एक आवश्यक कार्य माना जाता है. बता दें कि 22 जनवरी 2024 को पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश का अत्यंत विशेष और शुभ संयोग है.

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार

बता दें कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक़ किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति स्थापित करने से पहले उस मूर्ति की विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जानी बहुत जरूरी होती है, और प्राण प्रतिष्ठा का मतलब उस मूर्ति में प्राण की स्थापना करना यानी जीवन शक्ति को स्थापित करके मूर्ति को देवता के रूप में बदला जाता है, और मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए वैदिक मंत्रों के उच्चारण और अनेकों तरह की पूजा विधियों के द्वारा उस मूर्ति में प्राण को स्थापित किया जाता है. बताया जा रहा है कि इसी वैदिक परंपराओ को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं. हालांकि मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कई चरण होते हैं, जिसे पूरा करके मूर्ति को स्थापित किया जाता है, और प्राण प्रतिष्ठा के कई विभिन्न चरणों को अधिवास कहा जाता है, जैसे जलाधिवास, अन्नाधिवास, फलाधिवास, धृताधिवास आदि. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का वर्णन कई हिन्दू पुराणों और धर्म गन्थ्रों में किया गया है.

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