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मुस्लिमों को खुश करने के लिए इंदिरा ने CJI खन्ना के परिवार के साथ किया था ये अन्याय, अब मोदी ने किया इंसाफ

मुस्लिमों को खुश करने के लिए इंदिरा ने CJI खन्ना के परिवार के साथ किया था ये अन्याय, अब मोदी ने किया इंसाफ

नई दिल्ली। जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। संजीव खन्ना 13 मई, 2025 तक CJI रहेंगे। उन्होंने डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली है। जस्टिस संजीव खन्ना की CJI के तौर पर नियुक्ति इतिहास में हुए एक अन्याय की भरपाई है। जब गांधी परिवार ने अहंकार में आकर CJI खन्ना के परिवार के साथ अन्याय किया। अब जाकर उनके परिवार के साथ इंसाफ हुआ है। आइये जानते हैं पूरा मामला-

जानिए पूरा मामला

साल 1976 में इंदिरा गांधी सरकार ने जस्टिस संजीव खन्ना के चाचा जस्टिस हंस राज खन्ना जो कि सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज थे, उन्हें मुख्य न्यायाधीश नहीं बनने दिया था। उनकी जगह पर उनके जूनियर जस्टिस मिर्जा हमीदुल्लाह बेग को भारत का 15वां चीफ जस्टिस बनाया गया। दरअसल जस्टिस हंस राज खन्ना ने न सिर्फ इंदिरा गांधी के आपातकाल का विरोध किया था बल्कि उस समय एक ऐतिहासिक निर्णय भी सुनाया था। इस वजह से इंदिरा गांधी उनपर भड़क गईं और उन्हें मुख्य न्यायधीश नहीं बनने दिया।

इंदिरा के खिलाफ खड़े हो गए

25 जून, 1975 को जब देश में आपातकाल लागू किया गया तो लोगों को जेल में डाला जाने लगा। अनुच्छेद 359(1) का इस्तेमाल करके नागरिकों से उनके अधिकार छीन लिए गए। MISA कानून के तहत हजारों लोगों को जेल में डाला गया। कई हाई कोर्ट ने रिट याचिकाओं के तहत बंद कैदियों को रिहा कर दिया। बंदी प्रत्यक्षीकरण केस 1976 मामले में इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गईं। इसमें SC को निर्णय सुनना था कि क्या सरकार मनमाने ढंग से फैसले लेने का अधिकार रखती हैं। पांच जजों की एक संवैधानिक पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया।

न्याय को चुकानी पड़ी थी कीमत

इस पीठ में तत्कालीन चीफ जस्टिस एएन रे, जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़, जस्टिस एचआर खन्ना, जस्टिस पीएन भवगती और जस्टिस एमएच बेग शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट इंदिरा गांधी के दबाव में फैसले देने पर मजबूर था। 5 में से 4 जजों ने कहा कि सरकार किसी भी मौलिक अधिकार को निलंबित कर सकती है लेकिन जस्टिस एचार खन्ना इंदिरा के विरोध में खड़े हो गए। जस्टिस एचआर खन्ना ने अपनी बहन को लिखे पत्र में पहले ही कह दिया था कि उन्हें चीफ जस्टिस नहीं बनाया जायेगा और वहीं हुआ। एमएच बेग भारत के CJI बनाये गए। इसके बाद एचआर खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खड़े रहने वाले एचआर खन्ना का 2008 में निधन हुआ।

 

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