तिरुपति प्रसाद में मिलावट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ये वही घी था इस बात का क्या सबूत है ?

नई दिल्लीः तिरुपति बालाजी प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। आज मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने सख्त टिप्पणी की है। उसने कहा है कि प्रसाद तब होता है जब भगवान को चढ़ाया जाता है। उससे पहले मिठाइयां बनती हैं। ऐसे में भगवान-भक्त का जिक्र न करें, भगवान को विवाद से दूर रखें। दरअसल, याचिकाकर्ताओं ने प्रसाद में पशु चर्बी की मिलावट के आरोपों की जांच की मांग की है। मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है।

प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी- सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस गवई ने राज्या सरकार के वकील से पूछा कि क्या आपके पास निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई सामग्री है? आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि हमारे पास लैब रिपोर्ट है। जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि रिपोर्ट बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। अगर आपने पहले ही जांच का आदेश दे दिया था, तो प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? रिपोर्ट जुलाई में आई और बयान सितंबर में आया।

जस्टिस बीआर गवई ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि आपने एसआईटी का आदेश दिया है, नतीजे आने तक प्रेस में जाने की क्या जरूरत थी? आप हमेशा ऐसे ही सामने आते रहे हैं, यह दूसरी बार है। जब आप संवैधानिक पद पर हैं, तो आपसे यह अपेक्षा की जाती है कि आप ऐसा न करें। हम उम्मीद करते हैं कि देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जब तक आपको यकीन नहीं था, तब तक आप इसे लेकर जनता के पास कैसे गए? जांच का उद्देश्य क्या था?

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सीएम प्रेस में कब गए और दूसरे सप्लायरों के सैंपल का क्या हुआ? वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पिछले कुछ सालों में निजी विक्रेताओं से घी खरीदा जाने लगा। गुणवत्ता को लेकर शिकायतें थीं। हमने टेंडर देने वाले को कारण बताओ नोटिस दिया। जस्टिस गवई ने कहा कि जो घी सही नहीं पाया गया, क्या उसका इस्तेमाल प्रसाद के लिए किया जाता था? आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं।

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