By- Alina Khan
नई दिल्ली। हमारा पूरा भारत देश सोमवार को आज़ादी के 75 साल एक अमृत महोत्सव के रूप में पूरा कर चुका है। एक अभियान के मुताबिक़ इस स्वतंत्र दिवस को पहले से और भी ज्यादा हर्ष और उल्लाह के साथ बनाया गाया। अमृत महोत्सव में हर घर तिरंगा के साथ ही साथ भारत में हर हाथ तिरंगा भी नजर आया। एक भारतवासी होने के नाते हम सभी ने तिरंगे को मान सम्मान दिया लेकिन क्या आपके दिमाग में यह सवाल कभी आया की आख़िर ये राष्टीय ध्वज आया कैसे और इसी किसने बनाया। यह जानना हमें बेहद जरूरी है इसलिए आज के इस लेख में हम इसी पर चर्चा करेंगे।
2 अगस्त 1876 को आंध्रप्रदेश के भटलापेनामरू में पैदा हुए 19 साल की उम्र में फौज में भर्ती हुए साथ ही आंध्र प्रदेश नेशनल कालेज के लेक्चरर के तौर पर काम किया। वंकैया की संस्कृत, उर्दू ,जापानी भाषा में भी काफ़ी अच्छी पकड़ थी जापानी अच्छी बोलने की वजह से उन्हें जापानी वैंकैया भी बोला जाता था।
वेंकैया ने 1906 में कलकत्ता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सभा में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने का इरादा किया और फ़िर इसका जिम्मा उन्हें मिल भी गया। पिंगली ने 1916 से 1921 तक 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की स्टडी की और 25 से ज्यादा सैंपल तैयार किए।
बता दें कि जब गांधी जी ने वेंकैया को बेजवाड़ा में कांग्रेस की सभा में फाइनल डिजाइन दिखाने के लिए कहा तब उन्होंने 3 घंटे में खादी पर राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन तैयार कर के दिया।फाइनल डिजाइन में लाल और हरे रंग की पट्टी थी। उस में सफ़ॆद् रंग नाही था , इसके बीचों-बीच में चरखा था। झंडे के दोनों रंग भारत की बहुसंख्यक आबादी यानी हिंदू और मुसलमान के प्रतीक थे। महात्मा गांधी के सुझाव पर ध्वज में शांति के प्रतीक सफेद रंग को शामिल किया गया। 1919 से 1921 तक वेंकैया लगातार कांग्रेस के अधिवेशनों में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का विचार रखते रहे। 1931 तक उनके बनाए झंडे को कांग्रेस की सभी बैठकों में लगाया जाता रहा।
गौरतलब है कि बाद में झंडे में चरखे को हटाकर अशोक चक्र जोड़ा गया। आजादी मिलने के 23 दिन पहले 22 जुलाई, 1947 को यह कांग्रेस की आधिकारिक पहचान बन गया। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तो पिंगली वैंकया का तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया।
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