तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है, "मैंने अपने शिविर में घोषणा कर दी थी कि सभी बंदी पुरुषों को मार दिया जाना चाहिए। जो लोग इन हत्याओं का विरोध करेंगे, उन्हें भी मार दिया जाएगा और उनकी पूरी संपत्ति हत्यारे को दे दी जाएगी। जब गाजियों को इसकी खबर मिली, तो उन्होंने तुरंत अपनी तलवारें उठाईं और बंदियों को मार डाला।
नई दिल्लीः भारतीय इतिहास की किताबों में मुगलों को महान बताने की पूरी कोशिश की गई है। दुर्भाग्य से मुगलों को अपना आदर्श मानने वालो ने हमारा इतिहास लिखा। हमने यह तो पढ़ा कि अकबर एक महान राजा था और मुगल भारत में बिरयानी लाए। परन्तु हमें कभी यह नहीं बताया गया कि उन्होंने हिंदुओं पर किस तरह के अत्याचार किए। आज हम आपको मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा लिखी गई कई किताबों के आधार पर तैमूर नाम के राक्षस राजा ने हिंदुओं को कुचलने के लिए किस तरह की क्रूरताएं कीं।
सन् 1398 में हिंदुस्तान बहुत समृद्ध देश माना जाता था। जब तैमूर लंग को इस बात का पता चला तो वह बहुत सारा माल लूटने और इस्लाम का विस्तार करने के इरादे से सिंधु नदी पार करके अपनी सेना के साथ हिंदुस्तान में घुस गया। उसने दिल्ली के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। आस-पास के गांवों में कत्लेआम मचाने के बाद वह लोनी पहुंचा जहां उसने और लूटपाट की और एक लाख हिंदुओं का कत्लेआम किया। तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में लिखा है, “मैंने अपने शिविर में घोषणा कर दी थी कि सभी बंदी पुरुषों को मार दिया जाना चाहिए। जो लोग इन हत्याओं का विरोध करेंगे, उन्हें भी मार दिया जाएगा और उनकी पूरी संपत्ति हत्यारे को दे दी जाएगी। जब गाजियों को इसकी खबर मिली, तो उन्होंने तुरंत अपनी तलवारें उठाईं और बंदियों को मार डाला। उस दिन एक लाख काफिर (जो अल्लाह और कुरान को नहीं मानते) मारे गए।
तैमूर खुद गर्व से कहता है, “मेरे डर से 10,000 लोग अपनी जान बचाने के लिए नदी में कूद गए। अंततः, मैंने मई, 1398 में कश्मीर की दुर्गम पहाड़ियों के शीर्ष पर मानव सिरों का एक पिरामिड (मीनार) बनवाकर भारत से उन लोगों को खत्म करने का अभियान शुरू किया, जिन्होंने कभी अल्लाह के सामने अपना सिर नहीं झुकाया था। इसके बाद मैंने अपने अधिकारियों को आदेश दिया कि मानव सिरों की उस मीनार पर एक पत्थर का शिलालेख लगाया जाए, जिस पर मेरा नाम लिखा जाए, ताकि इतिहास में यह दर्ज हो जाए कि मैं काफिरों की इस धरती पर कब आया।”
दीन-ए-इलाही से पता चलता है कि अजमेर में तैमूर के स्वागत में 70,000 मानव सिरों की एक मीनार बनवाई गई थी। अकेले तैमूर ने लगभग 60,00,000 लोगों को मौत के घाट उतारा, ताकि उसके शासन में कोई काफिर न रह सके।
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