श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सरकारी नौकरी में रहकर आतंकवाद फैलाने में मदद करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा शुरू किया गया अभियान काफी सफल साबित हो रहा है और धीरे-धीरे परतें खुल रही है. साथ ही कश्मीर में खूनी खेल कर रहे इन राष्ट्रविरोधी तत्वों का पर्दाफाश हो रहा है, जो समाज के […]
श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सरकारी नौकरी में रहकर आतंकवाद फैलाने में मदद करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा शुरू किया गया अभियान काफी सफल साबित हो रहा है और धीरे-धीरे परतें खुल रही है. साथ ही कश्मीर में खूनी खेल कर रहे इन राष्ट्रविरोधी तत्वों का पर्दाफाश हो रहा है, जो समाज के बीच शरीफों की जिंदगी जी रहे हैं। सरकार ने अपने अभियान को जारी रखते हुए कश्मीर घाटी में तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में बर्खास्त कर दिया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जिन लोगों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है. बर्खास्त कर्मचारियों में कश्मीर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर अल्ताफ हुसैन पंडित, स्कूली शिक्षा विभाग में शिक्षक मोहम्मद मकबूल हाजम और जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल गुलाम रसूल शामिल हैं।
आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कश्मीर घाटी में बढ़ते आतंकवाद को देखते हुए जब जम्मू-कश्मीर प्रशासन को इन हमलों के पीछे का कारण पता चला, तो यह बात सामने आई। आतंकी संगठनों का सहारा लेने वालों में कई सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। जांच की प्रक्रिया शुरू हुई और सबूतों के आधार पर विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को आतंकी संबंधों के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
इससे पहले मार्च में, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने के लिए पुलिस कांस्टेबल तौसीफ अहमद मीर सहित पांच सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। मीर पर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने और उसके दो सहकर्मियों को मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था।
अनुच्छेद 311(ii)(c) के तहत गठित समिति की अनुशंसा के बाद ही इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा रही हैं। आपको यह भी बता दें कि इस अनुच्छेद के तहत राज्य की सुरक्षा के हित में किसी को भी बिना जांच के बर्खास्त किया जा सकता है। पिछले साल से अब तक 37 कर्मचारियों को विशेष प्रावधान के तहत बर्खास्त किया जा चुका है।
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