Ram Mandir Ayodhya News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने धार्मिक पर्यटन में उछाल के चलते पिछले पांच वर्षों में करीब 400 करोड़ रुपये का कर चुकाया, जिसमें से 270 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में दिए गए। ट्रस्ट के वित्तीय रिकॉर्ड का सीएजी द्वारा नियमित ऑडिट किया जाता है।
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और इसके वित्तीय प्रबंधन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने बताया कि बीते पांच वर्षों में सरकार को लगभग 400 करोड़ रुपये का कर अदा किया गया है। यह भुगतान 5 फरवरी 2020 से 5 फरवरी 2025 के बीच किया गया। इसमें से 270 करोड़ रुपये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में जमा किए गए, जबकि शेष 130 करोड़ रुपये अन्य करों के रूप में दिए गए।
अयोध्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है। महाकुंभ के दौरान करीब 1.26 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। ट्रस्ट के वित्तीय रिकॉर्ड की नियमित रूप से नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अधिकारियों द्वारा जांच की जाती है।
राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक मणिरामदास छावनी में संपन्न हुई, जिसमें सात सदस्य और चार विशेष आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे। बैठक में बताया गया कि बीते पांच वर्षों में ट्रस्ट के खाते से विभिन्न सरकारी एजेंसियों को 396 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इनमें से अकेले जीएसटी के रूप में 272 करोड़ रुपये अदा किए गए।
अयोध्या विकास प्राधिकरण को नक्शे के लिए 5 करोड़ रुपये दिए गए, जबकि जमीन रजिस्ट्रेशन और राजस्व कर के रूप में 29 करोड़ रुपये चुकाए गए। इसके अलावा, बिजली बिल के रूप में 10 करोड़ रुपये अदा किए गए। बीते पांच वर्षों में कुल 2150 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को 200 करोड़ रुपये का कार्य सौंपा गया, जबकि लार्सन एंड टुब्रो को मंदिर निर्माण हेतु 1200 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
राम मंदिर का निर्माण कार्य जून 2025 तक पूरा होने की संभावना है। परकोटा निर्माण का कार्य अक्टूबर तक चलेगा, जबकि शबरी निषाद और ऋषियों के सप्त मंदिर मई तक तैयार हो जाएंगे। शेषा अवतार मंदिर का निर्माण अगस्त में पूर्ण होगा। 30 अप्रैल तक राम मंदिर में स्थापित की जाने वाली सभी मूर्तियों को उनके स्थान पर रख दिया जाएगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया जाएगा, जहाँ यात्री नाममात्र शुल्क देकर ठहर सकते हैं। मंदिर में अब कोई मुख्य पुजारी नहीं होगा।