लखनऊ: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हर साल आयोजित होने वाली सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. यूपीएससी एग्जाम देने के लिए प्रतिवर्ष लाखों उम्मीदवार शामिल होते है, लेकिन फाइनल लिस्ट में कुछ ही लोग पहुंच पाते है. आज हम आपको यूपी के एक ऐसे गांव के बारे में […]
लखनऊ: संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हर साल आयोजित होने वाली सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. यूपीएससी एग्जाम देने के लिए प्रतिवर्ष लाखों उम्मीदवार शामिल होते है, लेकिन फाइनल लिस्ट में कुछ ही लोग पहुंच पाते है. आज हम आपको यूपी के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है जहां लगभग हर घर में एक अफसर देखने को मिल जाएगा।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 300 किलोमीटर दूर बसे जौनपुर के माधोपट्टी गांव की. इस गांव के बारे में जानकर लोगों को बेहद हैरानी होती है. लेकिन कहानी बिल्कुल सच है. माधोपट्टी गांव के लोग देशभर में बड़े पदों पर तैनात हैं. यह गांव पहले ग्राम पंचायत हुआ करता था, लेकिन अब ये नगर पंचायत में तब्दील हो चुका है. इस गांव में 75 घर हैं, लेकिन यहां अफसरों की संख्या 50 से अधिक है. इस गांव में बेटे-बेटियां ही नहीं बल्कि बहुएं भी अफसरों का पद संभाल रही हैं.
आपको बता दे कि माधोपट्टी के पहले सिविल सेवक मुस्तफा हुसैन थे, जो मशहूर कवि वामिक जौनपुरी के पिता थे. तब से इस गांव के युवाओं को सिविल सेवा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. माधोपट्टी गांव के लगभग हर घर में सिविल सेवाओं में एक सदस्य होने के बावजूद अभी तक गांव का चेहरा बिल्कुल नहीं बदला है।
इसका मतलब है कि विद्या की देवी मां सरस्वती इस गांव में बसती हैं. अगर गांव के किसी बच्चे से उनके भविष्य के बारे में पूछते है तो आज भी उनके मुंह से आईएएस आईपीएस अफसर बनने की बात सुनने को मिलेगी। हालांकि अब गांव के कई लोग शिक्षक बनने की ओर भी कदम रख रहे है।
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