नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दलों हलचल मची हुई है, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम पार्टियां अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद में जुटी हैं। इस बार बीजेपी ने नई रणनीति का आदान-प्रदान किया है, जिसमें विरोधी के वोट बैंक में भी घुसपैठ करने का प्रयास किया जा रहा है। आइए हम इस रणनीति के पीछे की कहानी को समझते हैं…
– बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
– उत्तर प्रदेश और बिहार में अन्य दलों के वोट बैंकों में गहराई से घुसपैठ करने की रणनीति बनाई गई है।
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में ‘मोदी-योगी’ और ‘मुस्लिम-योगी’ के साथ MY फॉर्मूले का अनुसरण किया है। यह फॉर्मूला समाजवादी पार्टी के “MY फॉर्मूले” की तर्ज पर मिशन 80 को पार करने के लिए बनाया गया है।
बीजेपी का मुस्लिम वोट शेयर: 8%
बीजेपी का यादव वोट शेयर: 23%
बीजेपी का कुल वोट प्रतिशत: 49.6%
बीजेपी का मुस्लिम वोट शेयर: 6%
बीजेपी का यादव वोट शेयर: 21%
बीजेपी का कुल वोट प्रतिशत: 23.6%
यूपी निकाय चुनावों में बीजेपी ने नई रणनीति अपनाई और मुस्लिमों के साथ मिलकर जीत हासिल की। इससे उन्हें कई मुस्लिम बहुल सीटों पर वोट मिला, जैसे कि संभल, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, और देवबंद। उपचुनावों में भी इस नई रणनीति का असर देखा गया, जैसे कि रामपुर लोकसभा, रामपुर विधानसभा, और स्वार विधानसभा में भी मुस्लिम बहुल होने के बावजूद बीजेपी या उसके गठबंधन ने जीत हासिल की। रणनीतिकारों का कहना है कि इस बदलती रणनीति से बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय के साथ एक नया संबंध बनाया है और वह अब मुस्लिमों के लिए अछूत नहीं रही है।
बीजेपी ने यूपी में ‘शुक्रिया मोदी भाईजान’ अभियान शुरू किया है, जिसमें मुस्लिम समाज की महिलाओं के लिए कड़ी में एक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य समाज में सहजता और समरसता बढ़ाना है। उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने यादव मंच के कार्यक्रम में सपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भगवान राम के साथ जो अन्याय किया, वह कैसे भगवान कृष्ण के साथ हो सकता है और जो कभी श्रीकृष्ण का नहीं हुआ, वो फिर भला यदुवंशी कैसे हो सकता है?” अब उपमुख्यमंत्री के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका ने बीजेपी के खिलाफ आपत्तिजनक तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के लोगों को अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। किसी मंच पर जाने और कोई नारा लगा देने से कुछ नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि जब यादव समाज के लोगों के साथ अन्याय हो रहा था, तब भाजपा कहां थी?
बीजेपी ने यूपी में यादव समाज को सरकार में शामिल करने के लिए कदम उठाया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गिरिश यादव को अपने कैबिनेट में मंत्री बनाया है। सपा, जो यादवों की सबसे बड़ी पार्टी मानी जाती है, वह यूपी में 4 चुनावों में अब तक हार का सामना किया है।
बीजेपी ने बिहार में भी यादव समाज को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। जिसके चलते मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पटना भेजकर यह साबित करने का प्रयास किया गया है कि सरकार में भागीदारी से ही समाज का भला हो सकता है। यह एक अधिकारिक कार्यक्रम नहीं है, लेकिन 18 और 19 जनवरी को पटना में होने वाले एक कृष्ण चेतना मंच के कार्यक्रम में मोहन यादव शामिल होंगे। इस अवसर पर यादव समाज के लोग उनका सम्मान और अभिनंदन करेंगे, इसे बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
आरजेडी प्रवक्ता नवल किशोर ने कहा कि आरजेडी को एमपी के सीएम मोहन यादव के होने वाले कार्यक्रम को अन्य किसी भी दृष्टिकोण से देखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के सीएम कहीं भी जा सकता है कोई भी उन्हें कहीं भी बुला सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने बिहार में कई यादवों को अध्यक्ष बनाकर देख लिया है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। मंडल कमीशन लागू होने पर उन्होंने जनता दल की सरकार गिरा दी थी क्योंकि बीजेपी सिर्फ वोट साधने की बात करती है।
इस सियासी खेल में दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ा है इस सियासी उथल-पुथल में बीजेपी ने यादव समाज को आकर्षित करने और उन्हें सरकार में शामिल करने का प्रयास किया है, जिसे बीजेपी समाज में सहजता बढ़ाने के प्रयास के तौर पर देख रही है। इसी के साथ, यह भी दिखता है कि बीजेपी कैसे अपनी रणनीतिक चेष्टाओं के माध्यम से राजनीतिक मैदान को और भी मजबूत बनाने कोशिश कर रही है। लेकिन इन सब से आने वाले चुनावों में कैसे परिणाम होते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।
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