नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकों के फंसे हुए कर्ज (एनपीए) के समाधान पर अंतिम निर्णय लेने के लिए तय की गई छह महीने की समयसीमा 15 के लिए और बढ़ा दी गई है. आरबीआई ने करीब 70 बड़े कर्ज वाले खातों के 3.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए का समाधान करने के लिए छह महीने की समयसीमा तय की थी. एक बैंक अधिकारी ने कहा, आरबीआई के डेडलाइन खत्म होने का मतलब यह नहीं कि बैंक 28 अगस्त को ही ट्रिब्यूनल चले जाएंगे.
रेग्युलर ने बैंकों को 15 दिनों का वक्त इसलिए दिया है, ताकि वे कानूनी वकील और समाधान करने वाले प्रोफेशनल्स को नियुक्त कर सकें. उन्होंने कहा, इन 15 दिनों में अगर खातों का समाधान निकलता है और उसे कर्जदाता मंजूर कर देते हैं तो उन्हें कोर्ट नहीं भेजा जाएगा.
सबसे ज्यादा कर्जा पावर सेक्टर पर: पावर सेक्टर की कंपनियों के करीब 34 दवाब वाले खातों पर 1.5 लाख करोड़ रुपये का ऋण बकाया है, जो बैंकों के लिए सबसे बड़े सिरदर्द बने हुए हैं. बैंकों का मानना है कि अगर बैंकरप्सी कोड के तहत परिसंपत्ति की असली कीमत नहीं बचेगी. लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक 32 एनपीए अकाउंट्स में से 20 को बैंकरप्सी अदालत को रेफर किया जाएगा. बाकी बचे 12 एनपीए खातों को कर्जदाता या को पुनर्गठित करेंगे या नीलामी की प्रक्रिया शुरू होगी.
इन 20 खातों को भेजा जाएगा NCLT: नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जिन अकाउंट्स को भेजा जाएगा, उनमें एस्सार पावर, कोरबा वेस्ट पावर कंपनी लिमिटेड, जिंदल इंडिया थर्मल लिमिटेड एंड सरावंत एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड जैसे पावर प्रोजेक्ट्स शामिल हैं. रिलायंस नवल भी उन कंपनियों में शामिल है, जिन्हें बैंकरप्सी अदालत को रेफर किया गया है. बीएमएम इस्पात लिमिटेड, आईएसएमटी लिमिटेड, बीआरजी आयरन एंड स्टील और स्प्लेंडिड मेटल प्रोडक्ट्स लिमिटेड जैसी धातु कंपनियां भी इस सूची में हैं.
हाई कोर्ट का क्या कहना है: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को पावर कंपनियों को आरबीआई सर्कुलर के खिलाफ अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. नतीजन कई पावर कंपनियों को एनसीएलटी रेफर कर दिया जाएगा. इससे पहले हाई कोर्ट ने कर्जदाताओं को ऊर्जा उत्पादक कंपनियों के खिलाफ कोई कदम न उठाने का आदेश दिया था. हालांकि कंपनियों के पास हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प मौजूद है.
क्या था आरबीआई का सर्कुलर: आरबीआई ने फरवरी में बैंकों के फंसे हुए कर्ज का पुनर्गठन करने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें आरबीआई ने बैंकों को उन परियोजनाओं को चिन्हित करने को कहा था, जिनमें दबाव वाली परिसंपत्तियों के रूप में एक दिन की भी चूक हुई हो और उनका समाधान 180 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया गया था. आबीआई के सर्कुलर में बैंकों को निर्देश दिया गया था कि एक मार्च, 2018 से लेकर 180 दिनों के भीतर समाधान नहीं होने वाले 2,000 करोड़ और उससे ऊपर की रकम वाले खातों को वे नए ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास ले जाएं.
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