ये है इस्लाम धर्म की सबसे बड़ी कुप्रथा, मुस्लिम महिलाओं के लिए जहन्नम से कम नहीं है ‘निकाह मुताह’

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में हर धर्मों में शादी के अलग-अलग प्रकार के नियम कानून होते हैं, परंतु यह भी एक कड़वा सच है कि हर धर्म में कुछ ना कुछ कुरीतियाँ होती ही हैं। इन कुरीतियों का इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमजोर तबके का शोषण करने के लिए करते हैं। आज एक ऐसी ही कुरीति […]

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ये है इस्लाम धर्म की सबसे बड़ी कुप्रथा, मुस्लिम महिलाओं के लिए जहन्नम से कम नहीं है ‘निकाह मुताह’

Shweta Rajput

  • October 30, 2024 10:54 am Asia/KolkataIST, Updated 3 weeks ago

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में हर धर्मों में शादी के अलग-अलग प्रकार के नियम कानून होते हैं, परंतु यह भी एक कड़वा सच है कि हर धर्म में कुछ ना कुछ कुरीतियाँ होती ही हैं। इन कुरीतियों का इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमजोर तबके का शोषण करने के लिए करते हैं। आज एक ऐसी ही कुरीति के बारे में जानते हैं जो इस्लाम धर्म की सभी महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

क्या है मुताह निकाह?

इस्लाम में सुन्नी और शिया दो बड़े संप्रदाय हैं, जिनकी मान्यताएं और परंपराएं अलग-अलग हैं। इन दोनों समुदाय में शादी की परंपराएं भी शामिल हैं। इन्हीं में से एक है मुताह परंपरा। जिसमें लड़कियां जितनी चाहें उतनी शादियां कर सकती हैं। निकाह मुताह की प्रथा की इस्लाम में अक्सर आलोचना की जाती है। मुताह निकाह मुसलमानों के बीच होने वाला एक अस्थायी निकाह होता है। मुताह एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है कि खुशी या मौज-मस्ती।

इस शादी को करने का मतलब है कि दो लोग जो लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते, वो मुताह विवाह करते हैं। इस्लाम में मुताह विवाह सिर्फ शिया मुसलमानों में ही होता है। खास तौर पर दुबई, अबू धाबी आदी जैसी जगहों पर इस समय शिया संप्रदाय के बहुत से मुसलमान निवास करते हैं। अपने कारोबार के कारण उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी और वे किसी भी जगह पर लंबे समय तक नहीं रुकते थे।

इस कारण करते हैं लोग निकाह मुताह

इस शादी में लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वे मुताह विवाह करते थे। ये शादी एक समय सीमा के साथ होती है। इसका अर्थ है कि एक समय के बाद पति और पत्नी दोनों आपसी सहमति से एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। हालांकि, तलाक के बदले में पति को पत्नी को मेहर देना पड़ता है।

ये मेहर हर सामान्य मुस्लिम विवाहों में दिया जाता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ में शिया संप्रदाय द्वारा इस विवाह को मान्यता दी गई है। इस शादी में किसी पर कोई पाबंदी नहीं है। मुताह विवाह एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट मैरिज है। इस शादी में लड़कियां जितनी चाहें उतनी बार शादी कर सकती हैं।

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