नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनाव(Rajya Sabha Election) कराए जाते हैं। बता दें कि राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में गुप्त मतदान नहीं होता। न ही इसमें ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है और न ही बैलेट पेपर का। राज्य सभा चुनाव के मतदान में विधायकों को उम्मीदवारों के नाम के आगे […]
नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनाव(Rajya Sabha Election) कराए जाते हैं। बता दें कि राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में गुप्त मतदान नहीं होता। न ही इसमें ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है और न ही बैलेट पेपर का। राज्य सभा चुनाव के मतदान में विधायकों को उम्मीदवारों के नाम के आगे प्राथमिकता के आधार पर 1 से लेकर 4 तक नंबर लिखना होता है। ऐसे में एक उम्मीदवार को जीत के लिए जितने वोट की आवश्यकता होती है ये पहले से ही तय होता है। जो कि कुल विधायकों की संख्या और कुल राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के गणित द्वारा तय होता है।
बता दें कि इसके लिए जिस फॉर्मूले का प्रयोग किया जाता है उसमें, राज्य के कुल विधायकों की संख्या को राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के नंबर में 1 जोड़कर भाग दिया जाता है। इसमें पहली वरीयता वाला वोट जोड़कर जो नंबर सामने आता है, वही जीत के लिए आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए- यूपी में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 403 है, इस बार राज्य की 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है, तो इसका फॉर्मूला कुछ इस प्रकार से होगा- 403/ [11+1] +1 = 34 … यानी उम्मीदवार को जीत के लिए 34 पहली वरीयता वाले वोटों की आवश्यकता होगी।
दरअसल, राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 250 होती है, लेकिन इनमें से 12 को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। जबकि बाकी के 238 का चुनाव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है। जिसके लिए अलग-अलग प्रदेशों में सीटों का बंटवारा होता है। ऐसे में किस राज्य को कितनी सीटें मिलेंगीं ये उसकी जनसंख्या पर निर्भर करता है। यानी की जितनी ज्यादा जनसंख्या रहेगी, राज्य को उतनी ही ज्यादा सीटें मिलेंगी। यही वजह है कि देश के सबसे बड़े राज्य यूपी को सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा सीटें मिलती हैं।
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव(Rajya Sabha Election) विधायकों द्वारा किया जाता है। यानी कि राज्यसभा के चुनाव में सिर्फ विधायक ही मतदान कर सकते हैं। ये विधायक एक समय में एक ही उम्मीदवार को वोट कर सकते हैं। लेकिन, कुछ स्थितियों में ये वोट ट्रांसफर भी किए जा सकते हैं। ये तब होता है जब उम्मीदवार जीतने की स्थिति में हो। उस समय वोट ट्रांसफर किया जा सकता है। जबकि दूसरी स्थिति तब होती है जब किसी उम्मीदवार को इतने कम वोट मिले हों कि उसके जीतने की संभावना न के बराबर हो।