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Kuldeep in Ukraine: यूक्रेन में 75 दिनों से रोजाना सैकड़ों लोगों को खाना खिला रहा ये भारतीय, चौतरफा हो रही तारीफ

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर अब तीन महीने होने वाले हैं। फिलहाल युद्ध के अंत का अभी भी कोई संकेत नहीं मिल रहा है। लाखों लोग यूक्रेन छोड़कर दूसरे देशों में चले गए हैं। जो लोग यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में रह चुके हैं, उनकी जिंदगी अभी नर्क जैसी […]

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Kuldeep in Ukraine: यूक्रेन में 75 दिनों से रोजाना सैकड़ों लोगों को खाना खिला रहा ये भारतीय, चौतरफा हो रही तारीफ
  • May 13, 2022 6:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर अब तीन महीने होने वाले हैं। फिलहाल युद्ध के अंत का अभी भी कोई संकेत नहीं मिल रहा है। लाखों लोग यूक्रेन छोड़कर दूसरे देशों में चले गए हैं। जो लोग यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में रह चुके हैं, उनकी जिंदगी अभी नर्क जैसी हो गई है। उनके सामने खाने-पीने का भी संकट है। इन समस्याओं के बीच एक भारतीय मानवता और भाईचारे की मिसाल कायम कर रहा है। वह शख्स कीव में लगातार डटा हुआ है और लोगों को लंगर खिला रहा है।आइए जानते हैं कौन है वो शख्स।

युद्ध की शुरुआत के साथ लंगर हुआ चालू

कीव में इस खास अभियान में लगे भारतीय का नाम कुलदीप है। कीव में रहने वाले कुलदीप वहां एक होटल चलाते हैं। युद्ध शुरू होने के बाद से उनका काम ठप हो गया, लेकिन उन्होंने इस संकट में शहर की सेवा करने की ठान ली और लंगर के काम में लग गए। उनका कहना है कि जिस दिन से युद्ध शुरू हुआ उसी दिन से उन्होंने लंगर शुरू कर दिया था। अब 75 दिन हो गए हैं, लेकिन उन्होंने इसे जारी रखा है।

तीन लोगों ने एक साथ शुरुआत की

उन्होंने बताया कि इस लंगर की शुरुआत हम तीनों ने की थी। हमारा उद्देश्य उन लोगों को भोजन उपलब्ध कराना है जो बेघर हो गए हैं या जिनके पास रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण कुछ नहीं बचा है। वह लोगों से कहते हैं कि जब तक युद्ध है, वह उन्हें मुफ्त में खाना खिलाते रहेंगे।

चेकपोस्ट पर भी पहुंचाया जाता है खाना

उनका कहना है कि रोजाना करीब 375 लोग खाने के लिए आते हैं। इसके अलावा वह चेकपोस्ट पर जाकर खाना भी पहुंचाते हैं। कुलदीप का कहना है कि अभी हम हर व्यक्ति को भोजन नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन हम भविष्य में हर व्यक्ति की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। लोग हमारे आतिथ्य को पसंद कर रहे हैं।

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