नई दिल्ली/चंडीगढ़: साल 1864 में. जब रघुबीर सिंह जींद के राजा बनते हैं. हालांकि उनके बेटे बलबीर सिंह को यह बात पसंद नहीं आती है. बलबीर खुद राजा बनना चाहता है. लेकिन रघुबीर अपने बेटे को गद्दी देना नहीं चाहते हैं. इस बीच एक दिन बलबीर ने अपने पिता के खाने में जहर देकर उन्हें […]
नई दिल्ली/चंडीगढ़: साल 1864 में. जब रघुबीर सिंह जींद के राजा बनते हैं. हालांकि उनके बेटे बलबीर सिंह को यह बात पसंद नहीं आती है. बलबीर खुद राजा बनना चाहता है. लेकिन रघुबीर अपने बेटे को गद्दी देना नहीं चाहते हैं. इस बीच एक दिन बलबीर ने अपने पिता के खाने में जहर देकर उन्हें मारने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम हो गया.
रघुबीर इस बात से काफी दुखी हुए, जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा बलबीर राजगद्दी के लिए उनका हत्या करना चाहता है. आखिरकार रघुबीर ने अपने बेटे बलबीर को फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दे दिया. इसके बाद बलबीर को फांसी हो जाती है. फिर रघुबीर ने बलबीर के 7 वर्षीय बेटे रणबीर को राजगद्दी पर बिठा दिया. इसके साथ ही उनके कार्यकाल को चलाने के लिए 3 सदस्यों वाली कमेटी भी बना दी.
इतिहासकारों के मुताबिक रणवीर सिंह गद्दी मिलने के बाद गलत आदतों और शौक के लिए जाना जाने लगा. उसकी पहचान एक अय्याश राजा के रूप में हो गई. बताया जाता है कि वह एक दिन में 33 पैग शराब पी लेता था. रणवीर अक्सर मनोरंजन के लिए शानदार पार्टियां करता था. इस पार्टी में अंग्रेज अधिकारी और उनकी पत्नियां भी शामिल होती थीं.
इस बीच साल 1920 में एक पार्टी में ओलिव नाम की लड़की अपनी मां के साथ आई हुई थी. ओलिव बेल्जियम की रहने वाली थी. पार्टी में राजा रणवीर सिंह की मुलाकात ओलिव से होती है. इस दौरान पहली ही मुलाकात में रणवीर ओलिव का काफी ज्यादा पंसद करने लगते हैं. वह ओलिव को महंगे-महंगे गिफ्ट्स देते हैं. ओलिव भी जींद के राजा से प्यार करने लगती है. इस बीच रणवीर उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखते हैं, लेकिन ओलिव की मां शादी से इनकार कर देती है. इसके बाद ओलिव की मां को मनाने के लिए रणवीर सिंह उन्हें 50 हजार रुपये देते हैं.
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