वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बीजेपी के जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर हर 3 महीने में चुनाव होंगे तो हम हर वक्त चुनावी मोड में रहेंगे।
नई दिल्ली। भारत का सबसे बड़ा कानूनी शो लीगली स्पीकिंग का Third Law & Constituion Dialogue यानी ‘संविधान संवाद’ शुरू हो चुका है। यह संवाद भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित हो रहा है। यह भारत का सबसे बड़ा टेलीविजन कार्यक्रम है। इस शो में महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर भारत के कानून निर्माताओं और कानूनी विशेषज्ञों की लाइव चर्चा हुई।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बीजेपी के जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर हर 3 महीने में चुनाव होंगे तो हम हर वक्त चुनावी मोड में रहेंगे। इससे सरकारों और पार्टियों के लिए निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है। व्यापक जनहित के लिए कदम उठाने में हमेशा किसी न किसी तरह की झिझक बनी रहेगी।
Does One Nation One Election Erode India’s Federal Structure? | 3rd Law & Constitution Dialogue
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— Legally Speaking (@SpeakingLegaly) December 13, 2024
वन नेशन वन इलेक्शन पर सुप्रिया श्रीनेत ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि लोकल पार्टियों और राज्य स्तर पर पार्टियों का उदय हुआ है। भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा छोटी पार्टियां हैं. क्या वन नेशन वन इलेक्शन के कदम से कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल कम नहीं हो जाएगा? क्या राज्यों को विश्वास में लिया गया है? आगे उन्होंने कहा कि यह एक संदिग्ध तर्क है कि वन नेशन वन इलेक्शन राजनीतिक दलों के खर्च को कम करेगा.
वरिष्ठ वकील अमन सिन्हा ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के लिए क्या जरूरी है. उन्होंने कहा कि, वन नेशन वन इलेक्शन को व्यापक संशोधन की जरूरत नहीं है. यह अनुच्छेद 368 से जुड़ा है. इस कदम के लिए राज्यों के द्वारा सर्मथन की जरूरत नहीं होगी.