नई दिल्ली : दिल्ली में शनिवार(17 दिसंबर) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल तरीके से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि GST परिषद् की बैठक के दौरान एजेंडा के 8 बिंदुओं पर विचार किया गया. जीओएम के दो मुद्दे रहे जिनपर चर्चा करने […]
नई दिल्ली : दिल्ली में शनिवार(17 दिसंबर) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल तरीके से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि GST परिषद् की बैठक के दौरान एजेंडा के 8 बिंदुओं पर विचार किया गया. जीओएम के दो मुद्दे रहे जिनपर चर्चा करने की जरूरत थी. लेकिन इन मुद्दों पर विचार नहीं किया जा सका. ये दो मुद्दे तंबाकू और गुटखा पर क्षमता-आधारित कराधान और जीएसटी न्यायाधिकरण की स्थापना से जुड़े हुए थे.
बैठक के बाद राजस्व सचिव ने बताया कि GST परिषद् की बैठक के दौरान अहम फैसले लिए गए. इनमें किसी भी अधिकारी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने समेत कुछ मामलों का गैरअपराधीकरण करना भी शामिल है. साथ ही जीएसटी कानूनों के तहत किसी भी मामले में अभियोजन शुरू करने की राशि सीमा को बढ़ाया गया है. अब ये सीमा 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये (नकली चालान को छोड़कर) की गई है.
जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान जीएसटी कानून के तहत अपराधों को गैर-अपराधीकरण, अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना और पान मसाला और गुटखा कारोबार में कर चोरी रोकने के लिए तंत्र बनाने को लेकर चर्चा की गई है. मालूम हो इससे पहले बताया गया था कि बैठक के दौरान ऑनलाइन गेमिंग और कैसीनो पर GST से जुड़े मुद्दों पर भी विचार किया जा सकता है.
पिछले साल मेघालय CM कॉनराड संगमा की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इससे जुड़ी रिपोर्ट सौंपी थी।
बैठक को लेकर वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया है. इस ट्वीट में कहा गया है कि “केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती @nsitharaman ने आज नई दिल्ली में वर्चुअल माध्यम से जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता की।”
जीएसटी कानूनों के तहत अपराधों के गैर-अपराधीकरण को लेकर जीएसटी परिषद की कानून समिति ने बैठक के दौरान परिषद को जीएसटी अपराधों के लिए अभियोजन शुरू करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है।
साथ ही जीएसटी अपराधों के कंपाउंडिंग के लिए करदाता की ओर से देय शुल्क को कर राशि के 25 फीसदी तक कम करने की बात भी कही गई है. बता दें, ये राशि वर्तमान में 150 प्रतिशत है. व्यापार करने में आसानी में सुधार (Ease of doing business) की दृष्टि से समिति ने यह बात कही है। वर्तमान में 5 करोड़ रुपये से अभियोजन शुरू करने की सीमा को समिति ने बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव भी दिया है. अभियोजन शुरू करने का मतलब कर अधिकारियों की ओर से अपराधी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करना है।ख़बरों की मानें तो पान मसाला और गुटखा कंपनियों की ओर से कर चोरी पर जीओएम की रिपोर्ट पर भी बैठक में विचार किया जा सकता है.