Waqf Amendment Bill: लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ तौर पर कहा कि वक्फ में किसी भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति नहीं होगी. उन्होंने इस विधेयक को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताने वाली बातों को खारिज किया. शाह ने कहा कि यह विधेयक वक्फ की संपत्तियों के रखरखाव और पारदर्शिता के लिए लाया गया है न कि किसी समुदाय के धार्मिक मामलों में दखल देने के लिए.
वक्फ का इतिहास
अमित शाह ने लोकसभा में वक्फ की उत्पत्ति और इसके समकालीन महत्व को समझाया. उन्होंने कहा ‘वक्फ एक अरबी शब्द है जिसका आज के संदर्भ में अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान, जो पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है.’ उन्होंने बताया कि भारत में वक्फ की शुरुआत दिल्ली सल्तनत काल में हुई थी. बाद में आजादी के बाद 1954 में इसमें बदलाव किया गया और फिर वक्फ बोर्ड का गठन हुआ. शाह ने जोर देकर कहा कि वक्फ एक प्रकार का चैरिटेबल एंडोमेंट है. जिसका मकसद सामाजिक और धार्मिक भलाई है.
सरकारी संपत्ति पर सवाल
शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने सरकारी और मंदिरों की जमीन को वक्फ को सौंप दिया था, जो गलत था. उन्होंने स्पष्ट किया ‘दान उस चीज का हो सकता है जो हमारा है. सरकारी संपत्ति या किसी और की जमीन का दान मैं नहीं कर सकता.’ उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने दिल्ली में सरकारी जमीन और तमिलनाडु में मंदिर की जमीन वक्फ को दी जो अनुचित था.
विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप
केंद्रीय गृहमंत्री ने विपक्ष पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा ‘ये भ्रम फैलाया जा रहा है कि सरकार मुस्लिम भाइयों की संपत्ति और धार्मिक गतिविधियों में दखल देना चाहती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है.’ शाह ने कहा कि विपक्ष अल्पसंख्यकों को भड़काने की कोशिश कर रहा है जबकि यह विधेयक वक्फ की संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए है. उन्होंने लालू यादव के पुराने बयान का भी जिक्र किया. जिसमें उन्होंने वक्फ बोर्ड में गड़बड़ियों को लेकर सख्त कानून की मांग की थी.
अमित शाह ने विधेयक के मुख्य बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा-
- ‘वक्फ में किसी भी गैर-मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति नहीं होगी.’
- धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का कोई इरादा नहीं है.
- वक्फ का ऑडिट होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी.
- हड़पी गई जमीन के मामले में कोर्ट का रास्ता खुला रहेगा.
- यह कानून सभी को मानना होगा क्योंकि यह संसद का निर्णय है.
विपक्ष का विरोध
विपक्षी दल इस विधेयक को असंवैधानिक बता रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार एक खास समुदाय की जमीन पर नजर रख रही है और अल्पसंख्यकों को अपमानित करने की कोशिश कर रही है. जवाब में शाह ने कहा कि यह विधेयक वोट बैंक के लिए नहीं, बल्कि वक्फ की संपत्तियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए लाया गया है. उन्होंने जोर देकर कहा ‘भारत सरकार का कानून सबको मानना पड़ेगा.’
यह भी पढे़ं- ‘कैमरे पर सेक्स आसान… लेकिन रियल लाइफ में पार्टनर नहीं’, दो योनि वाली एडल्ट स्टार का छलका दर्द