By- अहसन रिज़वी
नई दिल्ली/लखनऊ। साल 1925 से 1926 के दौरान सऊदी अरब के मदीना स्तिथ जन्नतुल बकी को सऊदी हुकूमत की रजामंदी से ध्वस्त कर दिया गया था। सऊदी हुकूमत के इस कार्य के खिलाफ देश-दुनिया भर में शिया मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध दर्ज कराते आए हैं। भारत में ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड उर्दू कैलेंडर के मुताबिक 8 शव्वाल के दिन देशव्यापी प्रदर्शन करता हैं। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि इस बार भी 8 शव्वाल के मुताबिक 17 अप्रैल को देश भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं, लखनऊ में शहीद स्मारक पर दोपहर 12:30 बजे आंदोलन किया जाएगा।
पैगंबर मोहम्मद स.अ. की बेटी समेत शिया मुस्लिम समुदाय के कई अन्य इमामों (महापुरुषों) को शहादत के बाद जन्नतुल बकी में दफन किया जाता था। जन्नतुल बकी आज एक मैदान की तरह सूनी दिखाई पड़ती है। जबकि ध्वस्तीकरण से पहले जन्नतुल बकी एक रौजा (मजार) हुआ करती थी।
मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि भारत और सऊदी के अच्छे रिश्ते होने के चलते उन्होंने भारत सरकार को इस सिलसिले में कई बार पत्र भेज कर जन्नतुल बकी के निर्माण के लिए सऊदी हुकूमत पर दबाव बनाने का ज़िक्र किया है। साथ ही सऊदी दूतावास को खून से भरा पत्र भी मेमोरेंडम के तौर पर कई बार दिया है। लेकिन वह पत्र सऊदी दूतावास ने लेने से इंकार कर दिया। देश में होते आए इस आंदोलन का मकसद सऊदी हुकूमत को यह संदेश देना रहा है कि जन्नतुल बकी का जल्द से जल्द पुननिर्माण कराया जाए।
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