आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बीती रात वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और करीब से अधिक लोग घायल हो गए। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी घटना घटी हो. पिछले 20 सालों में धार्मिक आयोजन के दौरान और मंदिरों से ऐसी कई घटनाएं सामने चुकी हैं.
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बीती रात वैकुंठ द्वार दर्शन के दौरान मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और करीब 25 से अधिक लोग घायल हो गए। बता दें भगदड़ उस समय हुई जब विशेष दर्शन के लिए टोकन बांटे जा रहे थे। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वैकुंठ द्वार दर्शन शुक्रवार से शुरू होकर 10 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी घटना घटी हो. पिछले 20 सालों में धार्मिक आयोजन के दौरान और मंदिरों से ऐसी कई घटनाएं सामने चुकी हैं. आइए जानते बीते करीब दो दशक इतिहास जहां भगदड़ के कारण कई मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं.
उत्तर प्रदेश के हाथरस में जुलाई 2024 में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई, जिसमें आयोजकों और प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया। रिपोर्ट में सामने आया कि अनुमति के दौरान आयोजकों ने नियमों का पालन नहीं किया और स्थानीय अधिकारियों ने आयोजन स्थल का निरीक्षण तक नहीं किया।
मध्य प्रदेश के इंदौर में रामनवमी पर पटेल नगर स्थित मंदिर में बावड़ी की छत गिरने से 35 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में कई लोग घायल भी हुए। रेस्क्यू ऑपरेशन में 140 से अधिक कर्मी जुटे थे। यह हादसा प्रशासन की लापरवाही का उदाहरण बना।
जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर में नए साल के पहले दिन भारी मात्रा में लोग दर्शन करने पहुंचे थे. इस कारण भीड़ इतनी बढ़ गई की उस पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका और मंदिर प्रागण में भगदड़ मच गई. इस दौरान 12 श्रद्धालु मारे गए। जांच में सामने आया कि उस दिन मंदिर प्रागण में लगभग दो से ढाई लाख श्रद्धालु दर्शन करने के लिए मौजूद थे.
राजमुंदरी पुष्करम त्योहार के समय आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में गोदावरी नदी के घाट पर हज़ारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. इस दौरान 27 लोगों की मौत हुई थी। यह हादसा भीड़ के कारण मची भगदड़ की वजह से हुआ था।
पटना में दशहरा के दिन रावण दहन के दौरान मची भगदड़ में 33 लोगों की जान गई थी। इसके साथ ही इस घटना में 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। वहीं बिहार सरकार की ओर से गंभीर और सामान्य रूप से घायल लोगों की मुआवजा देने का वादा किया गया था.
हरिद्वार में गायत्री परिवार के यज्ञ के दौरान भगदड़ में 20 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा घायल हुए थे। घटना के बाद गायत्री परिवार द्वारा मृतकों के परिवारजनों को दो दो लाख रुपए देने का ऐलान किया गया. साथ ही परवार के मुख्या प्रणव पंड्या ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली.
राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्र के पहले दिन हुई भगदड़ में 250 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। मंदिर परिसर में अत्यधिक भीड़ और प्रशासनिक व्यवस्था की कमी इस हादसे का कारण बनी।
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में मची भगदड़ में 146 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें करीब 40 बच्चे भी शामिल थे. वहीं यह रेन शेल्टर के ढहने के कारण घटी. हालांकि उस दौरान ये अफवाह भी फैली की ये घटना भूस्खलन के कारण घटी है.
महाराष्ट्र के सतारा में मांढर देवी मंदिर में 2005 में मची भगदड़ में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। जनवरी में आयोजित इस धार्मिक यात्रा में लाखों लोग शामिल हुए थे। घटना उस समय हुई जब पहाड़ी क्षेत्र में भक्तों के बीच अफरा-तफरी मच गई।
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