नई दिल्ली: रविवार को कांग्रेस आलाकमान ने साफ़ कर दिया कि वह दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का साथ देगी और भाजपा का विरोध करेगी. कांग्रेस का ये समर्थन उस समय आया जब बेंगलुरु में विपक्षी महाबैठक होने में केवल एक दिन का समय बाकी था. इतना ही नहीं रविवार की शाम […]
नई दिल्ली: रविवार को कांग्रेस आलाकमान ने साफ़ कर दिया कि वह दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का साथ देगी और भाजपा का विरोध करेगी. कांग्रेस का ये समर्थन उस समय आया जब बेंगलुरु में विपक्षी महाबैठक होने में केवल एक दिन का समय बाकी था. इतना ही नहीं रविवार की शाम को ही आम आदमी पार्टी ने PAC की बैठक बुलाई थी जिसमें अध्यादेश और विपक्षी बैठक को लेकर चर्चा की जानी थी.
ऐसे में अध्यादेश और विपक्षी बैठक को लेकर चर्चा होने लगी. कहा ये भी जाने लगा कि कांग्रेस यदि विपक्षी बैठक से पहले अध्यादेश पर आप को समर्थन नहीं देगी तो बेंगलुरु महाबैठक में बड़ी हलचल दिखाई पड़ सकती थी. हालांकि इन सभी कयासों को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा का बयान सामने आया है. सोमवार को बेंगलुरु महाबैठक से पहले पवन खेड़ा ने मीडिया से बातचीत की.
#CORRECTION | "Opposing Delhi ordinance has nothing to do with #OppositionMeeting. Congress has always stood up to protect the constitutional structure and we have always raised our voices against the misuse of Governors and *Lieutenant governors by BJP govt. So linking this with…
— ANI (@ANI) July 17, 2023
इस दौरान AAP के विपक्षी महाबैठक में शामिल होने पर कहा, “दिल्ली अध्यादेश का विरोध करने का विपक्षी दलों की बैठक से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस हमेशा संवैधानिक ढांचे की रक्षा के लिए खड़ी रही है और हमने हमेशा भाजपा सरकार द्वारा राज्यपालों और उप-राज्यपालों के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई है। इसलिए इसे विपक्षी बैठक के साथ जोड़ना गलत होगा”
गौरतलब है कि पिछले महीने बिहार की राजधानी पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक के दौरान भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तल्खी देखने को मिली थी. इस तल्खी के पीछे दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर कांग्रेस के अस्पष्ट रूख को बताया जा रहा था. हालांकि बेंगलूरु में विपक्षी दलों के महाजुटान से पहले ये मामला साफ हो गया और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को अध्यादेश के खिलाफ अपना समर्थन दे दिया है. लेकिन आम आदमी पार्टी के विपक्षी महाबैठक में शामिल होने पर अभी भी संशय है.