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भारत में बहती है एक ऐसी नदी जो किसी को नहीं दिखाई देती, जानिए इसके पीछे का रहस्य

नई दिल्ली: भारत में नदियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के नाम तो हर कोई जानता है, लेकिन एक ऐसी भी नदी है जो बहती तो है, परंतु दिखाई नहीं देती। यह रहस्यमयी नदी है “सरस्वती”। सदियों से सरस्वती नदी को लेकर विभिन्न कथाएं और मान्यताएं चलती आ रही हैं। […]

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भारत में बहती है एक ऐसी नदी जो किसी को नहीं दिखाई देती, जानिए इसके पीछे का रहस्य
  • September 29, 2024 10:30 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago
  1. नई दिल्ली: भारत में नदियों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के नाम तो हर कोई जानता है, लेकिन एक ऐसी भी नदी है जो बहती तो है, परंतु दिखाई नहीं देती। यह रहस्यमयी नदी है “सरस्वती”। सदियों से सरस्वती नदी को लेकर विभिन्न कथाएं और मान्यताएं चलती आ रही हैं। पुराणों और वेदों में इसका उल्लेख मिलता है, लेकिन वर्तमान में यह नदी हमारी आंखों के सामने बहती हुई नहीं दिखती।

सरस्वती नदी के मिले अवशेष

आज भी सरस्वती नदी को लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगाते हैं, परंतु आज भी सरस्वती नदी कहीं-कहीं बहती हुई मिलती है। हालांकि सरस्वती नदी को अब अलग-अलग जगह पर दूसरे नाम से जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक “सरस्वती” उदृगम स्थल सरस्वती कुंड आदिबद्री में सरस्वती नदी पहाड़ो से मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है। परंतु सरस्वती नदी साफ रूप से किसी को दिखाई नहीं देती है। ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती नदी इसी स्थान से हरियाणा-राजस्थान होते हुए फिर गुजरात से निकलकर लगभग 1600 किमी होते हुए अरब सागर में मिल जाती है।

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सरस्वती नदी का प्राचीन उल्लेख

वेदों में सरस्वती को भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक माना गया है। ऋग्वेद में इसे महान नदी कहा गया है, जो उत्तर भारत के क्षेत्र से होकर बहती थी। सरस्वती के किनारे ही प्राचीन सभ्यताओं का विकास हुआ था, जिनमें हड़प्पा सभ्यता भी शामिल है। महाभारत के अनुसार, सरस्वती नदी के किनारे पर कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जिनमें वेदों की रचना और ऋषि-मुनियों की तपस्या शामिल है। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को जब वेदव्यास सरस्वती नदी के तट पर महाभारत की कथा सुना रहे थे। उस समय नदी को धीरे बहने के लिए ऋषि ने अनुरोध किया ताकि वह पाठ पूरा कर सके। परंतु शक्तिशाली सरस्वती नदी ने उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद भगवान गणेश ने नदी के इस व्यवहार से क्रोधित होकर श्राप दिया कि वह एक दिन विलुप्त ही जाएगी।

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वैज्ञानिक तथ्य और खोज

आधुनिक काल में तकनीक की मदद से सरस्वती नदी के अवशेषों का पता लगाने की कोशिशें की गई हैं। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से पाया कि उत्तर भारत के थार मरुस्थल में सरस्वती नदी का एक सूखा हुआ रास्ता मौजूद है। कुछ शोध बताते हैं कि सरस्वती नदी सतलज और यमुना नदियों के बीच बहती थी, लेकिन बाद में प्राकृतिक बदलावों के कारण यह सूख गई। सरस्वती नदी राजस्थान में अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच से निकली, सरस्वती नदी को अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी माना जाता है। जिसका उद्गम स्थल उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास है।

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सरस्वती नदी से जुड़ी आस्था

आज भी सरस्वती नदी को आस्था का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी सरस्वती से जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिन क्षेत्रों से सरस्वती नदी बहा करती थी, वहाँ के लोग आज भी उसकी पूजा करते हैं। हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सरस्वती नदी को लेकर धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जहाँ मान्यता है कि नदी अब भी अदृश्य रूप से बह रही है।

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