भूल से भी उनकी धार्मिक भावनाएं आहत न हो... UP में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद पर आज होगी अगली सुनवाई Their religious sentiments should not be hurt even by mistake... Next hearing on Kanwar Yatra nameplate controversy in UP will be held today.
नई दिल्ली: UP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कांवड़ियां मार्ग पर भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था कि गलती से भी कांवरियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने के आदेश के मामले में UP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. UP सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नाम के कारण होने वाले भ्रम के संबंध में कांवडियों से प्राप्त शिकायतों के बाद जारी किए गए थे.
कांवड़ियां यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली खाने-पीने की दुकानों के मालिकों को अपना व कर्मचारियों का नाम स्पष्ट रूप से लिखने का आदेश दिया गया था. लेकिन बाद में SC ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने UP-उत्तराखंड और MP सरकार से भी जवाब मांगा. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. यह याचिका दुकानों के बाहर दुकानदारों का नेमप्लेट लगाने के समर्थन में है. इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से शुक्रवार (26 जुलाई) यानि आज जवाब मांगा था.
UP सरकार ने SC में जवाब दाखिल कर इस संबंध में दायर याचिकाओं का विरोध किया. UP सरकार ने कहा कि दुकान को लेकर कावंड़ यात्रियों की ओर से की गई शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकार ने ये निर्देश जारी किए हैं. इस यात्रा के दौरान खाने को लेकर गलतफहमियां पहले भी तनाव और झगड़े का कारण बनती रही हैं. इन निर्देशों के पीछे का मकसद यह था कि कावंड़ियों को पता चल सके कि वे क्या खाना खा रहे हैं. इससे पहले भी कई जगहों पर बिकने वाले खाने में गड़बड़ी सामने आई हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और कावंड यात्रा के दौरान खाने में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल भी झगड़े की वजह बन सकता है. इसलिए इन निर्देशों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कावंड़ यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो.कावंड यात्रा मार्ग पर नेम प्लेट लगाने का यह निर्देश सभी धर्मों के लोगों के लिए है, किसी विशेष धर्म के लिए नहीं।
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