नई दिल्ली : हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का शुक्रवार को गुरुग्राम में निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। पार्टी के एक प्रवक्ता के अनुसार, चौटाला को गुरुग्राम स्थित उनके घर में दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे थे और उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा, वह सात बार विधायक भी रहे और 2012 में जेबीटी भर्ती घोटाले में उन्हें 10 साल की सजा हुई थी।
ओम प्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हरियाणा के सिरसा जिले के चौटाला गांव में हुआ था। उन्होंने पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पहली बार 2 दिसंबर 1989 को मुख्यमंत्री बने और 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। इसके बाद, 1990 में और फिर 1991 में भी वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति शासन और अन्य कारणों से उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। 1999 में चौथी बार मुख्यमंत्री बने और दिसंबर 1999 में विधानसभा भंग कर दी। फिर 2000 में पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने और इस बार उन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
1993 में, चौटाला ने नरवाना उपचुनाव में जीत हासिल की और 1996 में हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) नाम से एक नई पार्टी बनाई। बाद में 1998 में बसपा के साथ गठबंधन कर उन्होंने पांच लोकसभा सीटें जीतीं। इसके बाद पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) रखा गया।
ओम प्रकाश के दो बेटे अजय और अभय चौटाला राजनीति में सक्रिय हैं। अजय की पत्नी नैना चौटाला और अभय की पत्नी कांता चौटाला हैं। चौटाला के तीन भाई भी राजनीति में थे, जिनके नाम रणजीत सिंह चौटाला, प्रताप सिंह चौटाला और जगदीश कुमार चौटाला थे। उनके परिवार में तीन बेटियां भी हैं सुचित्रा, सुनीता और अंजलि।
ओम प्रकाश चौटाला के बारे में कहा जाता था कि उनकी संपत्ति हजारों करोड़ रुपये की है। CBI ने उनके परिवार के खिलाफ 1467 करोड़ रुपये की संपत्ति का मामला दर्ज किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, चौटाला के पास 80 से ज्यादा संपत्तियां थीं।
ओम प्रकाश चौटाला पर जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोप था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर प्रत्येक शिक्षक से तीन-चार लाख रुपये लिए थे। इस मामले में वह 9 साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे। उन्हें 2021 में उनकी सेहत को देखते हुए कोरोना के दौरान रिहा किया गया।
अपने पिता के जेल जाने के कारण ओम प्रकाश चौटाला अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके थे, और उन्हें इसका हमेशा अफसोस था। जेबीटी भर्ती घोटाले के मामले में तिहाड़ जेल में रहते हुए, उन्होंने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास की। उनका यह कदम उनके आत्मसम्मान का प्रतीक था। यही नहीं, उनका यह संघर्ष 87 साल की उम्र में भी जारी था, जिस पर अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘दसवीं’ बनी।
ओम प्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर हमेशा विवादों और संघर्षों से घिरा रहा। कई बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद, उनका जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा। उनके करियर में जेबीटी भर्ती घोटाला एक बड़ा धब्बा था। उनके परिवार का राजनीति में एक बड़ा दबदबा था, लेकिन पारिवारिक विवादों और संपत्ति को लेकर भी कई सवाल उठते रहे। चौटाला की कहानी सत्ता, संघर्ष और विवादों का एक अनोखा मिश्रण थी, जिसने उन्हें एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत के रूप में पहचान दिलाई।
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