नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री 1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं. पूर्णकालिक वित्त मंत्री के रूप में ये उनका छठा बजट होगा. बता दें कि हम इतिहास से जुड़े दिलचस्प पहलू से आपको रूबरू करा रहे हैं, देश के ब्लैक बजट के बारे में. इसके साथ ही इस देश के इतिहास में ऐसा बजट भी रहा है कि प्रधानमंत्री को बजट भाषण में इसके लिए माफी मांगनी पड़ी थी. तो आइए भारत में बजट के इतिहास के बारे में कुछ रोचक बातें जाने….
इंदिरा गांधी ने मांगी थी माफी
बता दें कि 28 फरवरी 1970 के दिन पूर्व प्रधानमंत्री ने पीएम पद के साथ वित्त मंत्री होने के नाते देश का आम बजट पेश किया गया, और इंदिरा गांधी के मिजाज खासतौर पर उनके सख्त व्यवहार को सभी जानते थे. दरअसल अपने बजट भाषण में इंदिरा ने जब कहा कि मुझे माफ कीजिएगा, तो ये सुनकर लोकसभा के अधिकांश सदस्य भी हैरान रह गए, और वो सोचने लगे कि अब ऐसा क्या आने वाला है, जिससे पहले इंदिरा गांधी ने माफी की बात कह दी है. हालांकि जब इंदिरा गांधी ने अपना अगला शब्द बोला तो सभी का पूरी तरह से शक दूर हो गया, और उन्हें अपने सवाल का जवाब भी मिल गया.
बता दें कि इंदिरा गाँधी को अपना राजस्व बढ़ाना था, और उन्होंने अपने बजट में सिगरेट पर लगी ड्यूटी को 3 से बढ़ाकर 22 फीसदी तक कर दिया था. दरअसल ड्यूटी बढ़ाने से पहले उन्होंने कहा कि मुझे माफ कीजिएगा, लेकिन इस बार मैं सिगरेट पीने वालों की जेब पर थोड़ा ज्यादा भार डालने वाली हूं, और सिगरेट पर ड्यूटी बढ़ाने के बाद इंदिरा ने कहा कि इससे सरकार के राजस्व में 13.50 करोड़ रुपये का इजाफा हो होगा. जिससे सिगरेट पीने वालों को जोर का झटका लगा था. दरअसल इस पर उन्होंने कहा कि- मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयकर में छूट की सीमा को बढ़ाकर 40 हजार रुपये तक का किया जा रहा है.
तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव बी. चव्हाण द्वारा प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 1973-74 के बजट को भारत के इतिहास का सबसे काला बजट बताया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बजट में 550 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा था, और ये अब तक का सबसे बड़ा बजट घाटा था. ये बजट 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और भारी मानसून से प्रभावित हुआ था, लेकिन एक और दिलचस्प बात ये है कि 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी में पेश किए जाते थे, और वित्तीय वर्ष 1955-56 से पहली बार बजट अंग्रेजी और हिंदी दोनों में मुद्रित किया गया था.
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