नई दिल्ली : कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर सीएम पद पर खींचतान शुरू हो गई है. दिक्कत ये है कि सिर्फ डीके शिवकुमार ही नहीं बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे और मंत्री जी परमेश्वर की भी नजर सिद्धारमैया की कुर्सी पर है. सभी नेता फैसला आलाकमान पर छोड़ने की बात […]
नई दिल्ली : कर्नाटक कांग्रेस में एक बार फिर सीएम पद पर खींचतान शुरू हो गई है. दिक्कत ये है कि सिर्फ डीके शिवकुमार ही नहीं बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे और मंत्री जी परमेश्वर की भी नजर सिद्धारमैया की कुर्सी पर है. सभी नेता फैसला आलाकमान पर छोड़ने की बात कर रहे हैं, लेकिन उनके और उनके समर्थकों के बयानों में कर्नाटक सीएम की कुर्सी पर अधिकारकृत होने की चाहत झलक रही है.
कर्नाटक कांग्रेस में अंदरुनी तौर पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया ने खुद इसे सार्वजनिक किया. उन्होंने खुलेआम कहा कि वह ढाई नहीं बल्कि पूरे पांच साल तक सीएम रहेंगे. उनका बयान ऐसे समय पर आया है जब सत्तारूढ़ कांग्रेस का एक हिस्सा राज्य में ढाई साल बाद नेतृत्व परिवर्तन का दावा कर रहा है. दिलचस्प बात ये है कि डीके शिवकुमार सीएम बनने की रेस में अकेले नहीं हैं. दरअसल, इस रेस में मंत्री प्रियांक खड़गे और जी परमेश्वर भी शामिल हैं. प्रियांक खड़गे ने साफ कहा है कि अगर आलाकमान उन्हें जिम्मेदारी देता है तो वह सीएम बनने के लिए तैयार हैं.
कर्नाटक चुनाव के वक्त कांग्रेस ने किसी को सीएम के चेहरे के तौर पर घोषित नहीं किया था. ऐसे में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों ने चुनाव में कड़ी मेहनत की और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. जीत के बाद भी दोनों नेता खुद को सीएम मान रहे थे, लेकिन उन्होंने फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया. एक समय पर ऐसा लग रहा था कि कर्नाटक कांग्रेस के इन दो बड़े नेताओं के बीच मतभेद खत्म करने के लिए कांग्रेस कोई तीसरा चेहरा चुन सकती है. जी परमेश्वर और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम भी सामने आया, लेकिन अचानक 20 मई को सिद्धारमैया को शपथ दिला दी गई और डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद के लिए मना लिया गया. बताया जाता है कि इस समझौते के पीछे ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला था, तय हुआ था कि सिद्धारमैया ढाई साल तक सीएम रहेंगे और फिर डीके शिवकुमार को कुर्सी सौंप देंगे. अब सीएम पद को लेकर छिड़ी जंग के पीछे इसी फॉर्मूले को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है.
सिर्फ शिवकुमार, प्रियांक खड़गे और जी परमेश्वर ही सीएम पद के दावेदार नहीं हैं, बल्कि अन्य नेता भी सीएम बनने का सपना देख रहे हैं. इस सूची में मंत्री आरबी थिम्मापुरा का नाम भी शामिल है. गुरुवार को एक कार्यक्रम में जब उनसे दलित सीएम को लेकर जी परमेश्वर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी खुलकर सीएम बनने की इच्छा जताई. आरबी थिम्मापुरा ने कहा कि मैं सीएम क्यों नहीं बनूं? हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि हम सभी सीएम बनना चाहते हैं। इसके अलावा मंत्री केएन राजन्ना का नाम भी सीएम पद की इच्छा रखने वालों में शामिल है. हालांकि, रेस में अपना नाम सामने आने के बाद राजन्ना ने कहा कि मंत्री बनना ही उनके लिए काफी है. सिद्धारमैया के बाद परमेश्वर ही बनेंगे सीएम.
कर्नाटक में सीएम पद को लेकर चल रहे विवाद के बीच बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि राज्य में सीएम और डिप्टी सीएम के बीच चल रही आंतरिक कलह बदतर होती जा रही है. उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया. हालांकि उनके इस बयान पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि असंतोष हमारी पार्टी में नहीं बल्कि बीजेपी में है, यही वजह है कि सरकार बनने के पांच-छह महीने बाद भी बीजेपी नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है.
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