नई दिल्ली: भारत के संसदीय इतिहास में कई तरह से माइक का इस्तेमाल हुआ.. जब राम मनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी माइक पर बात किया करते थे तो पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी एकटक सुना करते. पीलू मोदी के बोलने पर सदन ठहाकों से गूंज जाया करता. रामदास आठवले के भीतर छिपे कवि […]
नई दिल्ली: भारत के संसदीय इतिहास में कई तरह से माइक का इस्तेमाल हुआ.. जब राम मनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी माइक पर बात किया करते थे तो पक्ष से लेकर विपक्ष तक सभी एकटक सुना करते. पीलू मोदी के बोलने पर सदन ठहाकों से गूंज जाया करता. रामदास आठवले के भीतर छिपे कवि ने भी इसी तरह संसद के माइक ने बाहर निकाला था. लेकिन अब माइक की भूमिका बदल गई है जहां संसद में चेहरा देख कर माइक के चालू बंद होने का आरोप लगाया जा रहा है.
ये कोई मामूली आरोप नहीं है क्योंकि यदि वाकई सदन में विपक्ष अपनी बात नहीं रख पा रहा है तो ये लोकतंत्र की सेहत खराब करता है. अब देखने वाली बात ये है कि विपक्ष के आरोपों में दम है या खीझ के चलते बातों को बढ़ा -चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. राहुल गांधी के लंदन दौरे के बाद लोकतंत्र को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है. इसमें नया की-वर्ड माइक भी जुड़ गया है जिसे लेकर विपक्ष आरोप लगाए रहा है कि जब भी वह संसद में बोलने की कोशिश करता है तो उसे दबाया जाता है. सबसे बड़ा आरोप विपक्ष के नेताओं का ये है कि संसद में विपक्षी नेताओं को बोलने का मौका ही नहीं दिया जाता है. और जब उनके बोलने की बारी भी आती है तो माइक बंद कर दिया जाता है.
बीते बुधवार लोकसभा में कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ‘सरकार प्रायोजित व्यवधान’ हेडर के साथ पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने स्पीकर को ये सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि विपक्षी सदस्यों को निष्पक्ष तरीके से अपनी बात व्यक्त करने का अवसर दिया जाए. अब बता दें, राहुल गाँधी ने ये मामला किस तरह उठाया. दरअसल बीते दिनों अपने लंदन दौरे के दौरान ब्रिटिश सांसदों की मौजूदगी में राहुल गांधी ने कहा कि ‘हमारे माइक खराब नहीं है वह काम करते हैं लेकिन आप उन्हें चालू नहीं कर सकते हैं. मेरे भाषण के दौरान ऐसा कई बार हुआ.’
राहुल गांधी के लंदन वाले बयान के बाद भाजपा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. भाजपा ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताया। दूसरी ओर टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और लिखा-
‘पिछले तीन दिनों से हम देख रहे हैं कि माननीय अध्यक्ष ओम बिरला केवल बीजेपी के मंत्रियों को संसद में बोलने दे रहे हैं. इसके बाद उन्होंने संसद को स्थगित करने की घोषणा कर देते हैं, किसी भी विपक्षी सदस्य को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है.आज देश का लोकतंत्र खतरे हैं. स्पीकर इसे सामने से लीड कर रहे हैं.अगर मुझे इस ट्वीट को करने के लिए जेल जाना पड़े तो मैं तो भी मुझे दिक्कत नहीं है.”
उन्होंने ये ट्वीट बुधवार (15 मार्च) को किया था. कारण जो कुछ रहा हो अब ये ट्वीट डिलीट हो चुका है. वहीं माइक बंद करने के आरोपों के बाद राहुल गाँधी भी सदन पहुंचे थे जहां भाजपा ने एक बार फिर उनके भाषण को लेकर संसद में माफ़ी मांगने पर बवाल किया. इसके बाद राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता भी की जिसमें उन्होंने भाजपा सरकार पर कई आरोप लगाए और अडानी और पीएम को भी एक ही बयान में उन्होंने नत्थी कर दिया. अब खबर सामने आई है कि उन्होंने स्पीकर से मिलने का भी समय माँगा है.
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