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आ गया पृथ्वी के विनाश का समय, पर्वत से गायब है ‘ॐ’, कहां गया छोटा कैलाश?

नई दिल्ली: बर्फ से ढका ओम पर्वत अचानक बर्फ विहीन हो गया है. करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र रही ओम की आकृति भी अचानक गायब हो गई. केवल काला पहाड़ ही देखना बाकी है. ओम पर्वत की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक और वैज्ञानिक भी हैरान हैं. ओम पर्वत से बर्फ […]

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  • August 29, 2024 1:44 am Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: बर्फ से ढका ओम पर्वत अचानक बर्फ विहीन हो गया है. करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र रही ओम की आकृति भी अचानक गायब हो गई. केवल काला पहाड़ ही देखना बाकी है. ओम पर्वत की ऐसी हालत देखकर स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटक और वैज्ञानिक भी हैरान हैं. ओम पर्वत से बर्फ पिघलने का कारण हिमालय में लगातार बढ़ता तापमान है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में विश्व प्रसिद्ध ओम पर्वत से बर्फ पूरी तरह पिघल गई है. बर्फ पिघलने के कारण ॐ की आकृति भी पूरी तरह से लुप्त हो गई है और केवल काला पर्वत ही दिखाई दे रहा है.

ओम की आकृति भी गायब

ऐसा पहली बार हुआ कि ओम पर्वत की पूरी बर्फ पिघल गई और आज ओम की आकृति भी गायब हो गई. उनका मानना ​​है कि साल 2019 में ओम पर्वत तक सड़क बनाई गई. जिसके बाद हर दिन करीब 100 गाड़ियां ओम पर्वत जा रही हैं. जिससे कार्बन बढ़ रहा है और इसका सीधा असर पहाड़ों के पर्यावरण पर पड़ रहा है. इसके साथ ही कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) ने हेलीकॉप्टर दर्शन सेवा भी शुरू कर दी है. ओम पर्वत पर ही हेलीकॉप्टर उतर रहे हैं. जिसके कारण हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण भी बढ़ रहा है.

सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग

इस वर्ष ओम पर्वत पर ओम की आकृति दिखाई नहीं दी है. जिसके पीछे वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ग्लोबल वार्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण है. ओम पर्वत पर पर्यटन काफी बढ़ गया है. पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए यहां सड़कों का निर्माण किया जा रहा है और विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में भी काम किया जा रहा है. जिससे निर्माण कार्यों का सीधा असर हिमालय क्षेत्र पर पड़ रहा है। इसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर भी दिख रहा है.

पर्वत की खासियत

स्कंद पुराण के मानस खंड में आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा को कैलाश मानसरोवर यात्रा के समान ही सार्थक माना गया है. यही कारण है कि ओम पर्वत को छोटा कैलाश भी कहा जाता है. ओम पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से 6,191m है. इस पर्वत की खासियत यह है कि जब सूर्य की पहली किरण इस पर पड़ती है तो ओम की आकृति अलग ही चमकती है. वो पल बेहद अद्भुत और अलग अनुभव वाला होता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कम बर्फबारी के बावजूद ओम पर्वत की आकृति कभी लुप्त नहीं हुई।

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