यूपी में योगी सरकार और संगठन के बीच खिंची तलवार… अब संघ कराएगा सुलह?

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार-14 जुलाई को यूपी में लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन की समीक्षा की. राजधानी लखनऊ में हुई इस समीक्षा बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम- केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत कई […]

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यूपी में योगी सरकार और संगठन के बीच खिंची तलवार… अब संघ कराएगा सुलह?

Vaibhav Mishra

  • July 15, 2024 6:39 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार-14 जुलाई को यूपी में लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन की समीक्षा की. राजधानी लखनऊ में हुई इस समीक्षा बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम- केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए.

मीटिंग के दौरान राज्य सरकार और संगठन के बीच टकराव साफ देखा गया. जहां एक ओर सीएम योगी ने अपनी सरकार का काम गिनाया और कहा कि हमें हताश होने की जरूरत नहीं है. वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि हमारे लिए कार्यकर्ताओं के सम्मान से बड़ा कुछ नहीं है.

सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बयान में दिखा अंतर

लोकसभा चुनाव की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम योगी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बयान में अंतर दिखा. एक तरफ सीएम योगी ने यह स्वीकार किया कि अतिआत्मविश्वास की वजह से हम अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके. उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ता बैकफुट पर न आएं, उन्होंने अपना काम बखूबी किया है.

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि कार्यकर्ता के सम्मान से बड़ा कुछ भी नहीं है. उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि कार्यकर्ता के सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इसके अलावा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान ने भी काफी सुर्खियां बटोरी हैं. उप मुख्यमंत्री मौर्य ने रविवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि संगठन हमेशा से सरकार से बड़ा होता है.

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा रही हार का बड़ा कारण

मालूम हो कि यूपी में विपक्षी अक्सर आरोप लगाते हैं कि योगी राज में प्रदेश में अफसरशाही हावी है. गाहे-बगाहे बीजेपी के विधायक और सांसद भी दबी जुबान से कहते आए हैं कि आला अफसर उनकी बातों को तवज्जों नहीं देते हैं. स्थानीय स्तर पर भी नेताओं की यही शिकायत रहती है कि प्रदेश में अपनी सरकार होने के बावजूद थाने और अन्य जगहों पर उनकी सुनवाई नहीं होती है.

लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद लखनऊ के सियासी गलियारों में इसकी खूब चर्चा की जा रही है कि बीजेपी के लोकल वर्कर्स इस चुनाव में उतना एक्टिव नहीं रहे जितना वो इलेक्शन में रहते हैं. इसकी बड़ी वजह उनका अपनी ही सरकार में उपेक्षित महसूस करना है. बताया जा रहा है कि राज्य में सरकार और संगठन के बीच आई दूरी को पाटने के लिए संघ ने पहल शुरू कर दी है. अंदरखाने संघ अब कई मुद्दों पर अपना हस्तक्षेप दिखा रहा है.

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