नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा परीक्षा प्रक्रिया पूरी होने के बाद कट-ऑफ बदलना मनमाना और अस्वीकार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में जिला न्यायाधीशों के लिए पात्रता मानदंड को 50% तक बढ़ाने के झारखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के फैसले को भी रद्द कर दिया है. बता दें कि न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा परीक्षा प्रक्रिया पूरी होने के बाद कट-ऑफ बदलना मनमाना और अस्वीकार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में जिला न्यायाधीशों के लिए पात्रता मानदंड को 50% तक बढ़ाने के झारखंड उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के फैसले को भी रद्द कर दिया है. बता दें कि न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और संजय कुमार ने कहा कि सुनवाई के अंतिम बिंदु को तय करना सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी थी. और उनकी ओर से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता जैसी कई शर्तों में बदलाव किया जा सकता है. साथ ही इसे परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने से पहले पूरा किया जाना चाहिए, और सर्वोच्च न्यायालय एक सामान्य निर्णय लेने के लिए ऐसे नियम पर भरोसा नहीं कर सकता जो स्थापित चयन मानदंडों से भटकता है.
सुशील कुमार पांडे और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शेष 9 रिक्तियों को भरने के लिए मेरिट सूची या चयन में सफल उम्मीदवारों को सिफारिश करने का भी निर्देश दिया है. बता दें कि 23 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने कट-ऑफ स्तर को 50 प्रतिशत अंक (2022 में प्राप्त अंक) तक बढ़ाकर 2022 जिला न्यायाधीश भर्ती प्रक्रिया में 22 रिक्तियों के लिए चयन मानदंड में संशोधन करने का प्रस्ताव पारित किया था.
मुख्य परीक्षा और मौखिक परीक्षा कुल) प्रदान किया गया, और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीमा बढ़ाना नियमों और विनियमों द्वारा निषिद्ध नहीं है, जिसमें ये भी कहा गया कि चयनित सूची में शामिल उम्मीदवारों के पास इस पद पर नियुक्त होने का मौलिक कानूनी अधिकार नहीं है, और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने चयन प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले कानूनी नियमों को बदलने की कोशिश की थी और ऐसे बदलाव अस्वीकार्य है.
बता दें कि शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के प्रस्ताव के पीछे कारण ये है कि बेहतर उम्मीदवार ढूंढ़े जाने चाहिए, लेकिन ये नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर हो गए उम्मीदवार को अनुपयुक्त पाए जाने से विभिन्न है. साथ ही पीठ ने कहा कि किसी उम्मीदवार की अनुपयुक्तता का पता लगाए बिना उसकी नियुक्ति से रोकना भर्ती नियमों का उल्लंघन है, और ऐसी करवाई अनुच्छेद 14 के परीक्षण में असफल हो जाएगी और इसे बहुत मनमाना जाएगा.