Sukhee Review: ‘सुखी’ की बेहतरीन कलाकारी, नहीं जीत पाई दर्शको का दिल

मुंबई: महिला निर्देशकों की खासियत ये होती है कि जब वो महिलाओं के इर्द गिर्द कोई कहानी बुनती हैं. तब वो महिलाओं के भावनात्मक पहलू को पर्दे पर सही तरीके से पेश करती है. बता दें कि एक महिला होने के नाते महिलाओं के जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुख दुख को सही तरह से समझ सकती है और अपनी छोटी -छोटी खुशियों को नजरअंदाज करके अपने पति और बेटी की छोटी-छोटी खुशियों का ध्यान देती है. हालांकि जब रिश्तों के बीच अहम का टकराव होता है, तब उनके ज़िन्दगी खुशहाल जिंदगी में कड़वाहट पैदा हो जाती है. बता दें कि ये कहानी महिलाओ के ऊपर आधारित है. साथ ही बता दें कि नवोदित निर्देशक सोनल जोशी ने महिलाओं की आम समस्याओं पर फिल्म का निर्माण किया है, जिसमें इस फिल्म को भावनात्मक रूप से पर्दे पर सही तरीके से पेश नहीं कर पाई है.

कहानी में अच्छी अभिनय में कमी

बता दें कि फिल्म ‘सुखी’ की मुख्य कड़ी सुखप्रीत कालरा की किरदार निभाने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी है. फिल्म में सबसे ज्यादा निराशाजनक अभिनय उनका ही रहा है. हालांकि फिल्म के भावनात्मक दृश्यों में वो बहुत कमजोर नज़र आ रही है. बता दें कि वो टीवी शो ‘कहीं तो होगा’ के जरिए अपनी अच्छी पहचान बना चुके है लेकिन अभिनेता चैतन्य चौधरी ने शिल्पा शेट्टी के पति गुरु की किरदार को निभाई है और वो बहुत हद तक अपनी भूमिका निभाने में सफल रहे है. हालांकि वो न सिर्फ शिल्पा शेट्टी से ज्यादा आकर्षक दिखी है, बल्कि अपनी परफॉर्मेंस से सबका ध्यान भी आकर्षित करती नज़र आ रही है.

हालांकि फिल्म के बाकी कलाकारों का अभिनय भी सामान्य है और इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी अच्छी है. बता दें कि फिल्म के सिनेमैटोग्राफर आर डी ने दिल्ली को फिल्म में बहुत खूबसूरती के साथ पेश किया है. इस फिल्म का संकलन और बैक ग्राउंड म्यूजिक भी सामान्य ही है.

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