वो खास अधिकार जो भारत के संविधान को दुनिया में बनाती हैं सबसे अहम

नई दिल्ली: संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को मंजूरी दी थी। इसे 26 जनवरी 1950 से प्रभावी माना गया था। आपको बता दें, भारतीय संविधान को विश्व के अन्य देश विशेष मानते थे। जुलाई 1946 में जब संविधान सभा का गठन किया गया था, तब इसमें 389 सदस्य थे। इसमें […]

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वो खास अधिकार जो भारत के संविधान को दुनिया में बनाती हैं सबसे अहम

Amisha Singh

  • January 25, 2023 9:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को मंजूरी दी थी। इसे 26 जनवरी 1950 से प्रभावी माना गया था। आपको बता दें, भारतीय संविधान को विश्व के अन्य देश विशेष मानते थे। जुलाई 1946 में जब संविधान सभा का गठन किया गया था, तब इसमें 389 सदस्य थे। इसमें 12 महिलाएँ थीं। इसे तैयार करने में दो साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। एक दिलचस्प बात यह है कि पूरा संविधान हाथ से लिखा गया था। संविधान की कई बातें हैं जो इसे दुनिया भर के देशों के संविधानों से अलग बनाती हैं। जानिए 5 रोचक बातें

1. विश्व का सबसे लंबा संविधान

आपको बता दें, भारत के संविधान को दुनिया का सबसे लंबा संविधान कहा जाता है। भारत के संविधान में एक प्रस्तावना, 22 भागों के साथ 448 आर्टिकल्स, 12 अनुसूचियां और 5 परिशिष्ट शामिल हैं। यह सबसे लंबा संविधान भी है क्योंकि इसमें कुल 1.46 लाख शब्द हैं। संविधान पैलेस में 24 जनवरी, 1950 को विधानसभा के 284 सदस्यों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। संविधान की प्रति के प्रत्येक पृष्ठ की साज-सज्जा का कार्य शांति निकेतन के कलाकारों ने किया। इसे सजाने वाले कलाकारों में राम मनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस शामिल थे।

2. 60 देशों के संविधान को पढ़ा गया

भारतीय संविधान इस तरह से तैयार नहीं था। इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। यह 26 नवंबर, 1949 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसे तैयार करने से पहले दुनिया के 60 देशों के संविधान को पढ़ा गया। भारतीय दृष्टि से जो बातें अच्छी लगती थीं, वे भी उसमें शामिल थीं। संविधान की मूल प्रतियां संसद पुस्तकालय में स्थित हैं। संविधान की प्रतियां लंबे समय तक सुरक्षित होनी चाहिए, इसलिए वे हीलियम से भरे केस में रखे रहे।

 

3. भारत का संविधान 10 देशों के संविधानों से मिलकर बना

जब संविधान तैयार किया गया तो अलग-अलग देशों के संविधान को पढ़कर कुछ चीजें उसका हिस्सा बनीं। भारत का संविधान विश्व के 10 देशों के संविधानों को मिलाकर तैयार किया गया था। इसे “बैग ऑफ बॉरोविंग्स “नाम से जाना जाता था। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, आयरलैंड और अन्य जैसे देशों के कानून और अधिकार शामिल थे।

4. कुल 432 निब घिसी गई थी

बताते चलें, संविधान निर्माण का कार्य सुलेखक प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को सौंपा गया था। उन्हें भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। संविधान के निर्माण के दौरान 432 निब की खपत हुई थी। इन्हें इंग्लैंड से आयात किया गया था। होल्डर में निब लगाकर कलम बनाई गई और स्याही में डुबाकर संविधान लिखा गया।

5. 2 हजार से अधिक संशोधन किए गए

संविधान में हर महत्वपूर्ण बात सटीक होनी चाहिए, अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए… इन सभी बातों का ध्यान रखा गया है. यही कारण था कि जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया और उस पर बहस हुई, तो इसे अंतिम रूप देने से पहले 2,000 से अधिक संशोधन हुए। जबकि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के संविधान निर्माताओं को इससे जुड़े बदलावों से नहीं जूझना पड़ा है। उन्होंने संविधान को जैसा बनाया, वह वैसे ही पास हो गया।

 

 

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