नई दिल्ली: पृथ्वी पर खगोलीय घटना का वो समय नज़दीक आ रहा है, जब इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगेगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे “रिंग ऑफ फायर” के रूप में जाना जाता है। खगोलविदों के अनुसार, जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आते हैं […]
नई दिल्ली: पृथ्वी पर खगोलीय घटना का वो समय नज़दीक आ रहा है, जब इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को लगेगा। यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे “रिंग ऑफ फायर” के रूप में जाना जाता है। खगोलविदों के अनुसार, जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आते हैं और चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, तब सूर्य ग्रहण लगता है। वहीं इस समय चंद्रमा सूर्य की रोशनी को बाधित करता है और यह अद्भुत दिखाई देता है।
चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी समय-समय पर बदलती रहती है, जिससे यह कभी बड़ा और कभी छोटा दिखाई देता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, तो यह पूरे सूर्य को ढक लेता है, जिसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है। उस वक्त पृथ्वी के कुछ स्थानों पर दिन के समय अंधेरा छा जाता है और तापमान में भी कमी आ जाती है। हालांकि वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ा दूर होता है, जिसके कारण इसका आकार छोटा दिखता है और यह सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता। इस कारण सूर्य के किनारे चमकते रहते हैं और देखने में ऐसा लगता है कि आकाश में रिंग ऑफ फायर बनी हुई है। यह नजारा वैज्ञानिकों के लिए बेहद अगल होता है।
बता दें, यह वलयाकार सूर्य ग्रहण छह घंटे से अधिक समय तक चलेगा, लेकिन भारत में यह दृश्य देखने को नहीं मिलेगा। यह खगोलीय घटना मुख्य रूप से दक्षिणी अमेरिका के चिली, अर्जेंटीना और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में देखी जाएगी। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 9:13 बजे से शुरू होगा और 3 अक्टूबर की दोपहर 3:17 बजे तक चलेगा। हालांकि दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में इसे बीच-बीच में देखा जा सकेगा। वहीं सूर्य ग्रहण को देखते समय विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। इसे सीधे देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है, इसलिए विशेष रूप से बनाए गए चश्मों का उपयोग करना आवश्यक है।
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