नई दिल्ली: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कई मायनों में अद्भुत था, और सात दिवसीय अनुष्ठान के हिस्से के रूप में रामजन्मभूमि परिसर में 5.50 लाख मंत्रों का जाप किया गया. दरअसल ये सभी मंत्र रामनगरी के पौराणिक ग्रंथों से लिए गए हैं. बता दें कि पुराण, श्रीमद्भागवत और वाल्मीकि रामायण के मंत्रों का पाठ किया गया. साथ ही काशी समेत देशभर से आए 121 वैदिक कर्मकांडी ब्राह्मणों ने इन मंत्रों का उच्चारण किया. सात दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजा और कर्मकुटी पूजा के साथ शुरू हुआ. हालांकि अनुष्ठान का समापन 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ हुआ, और शुभ मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नदियप प्रजामे गोपाया अमृतत्वया जीवते, जातांच निश्यामानांच, अमृते सत्ये प्रतिष्ठिताम्… मंत्र के जप से की गई है.
बता दें कि इसमें चारों वेद, 13 उपनिषद, 18 पुराणों, वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास की रामचरित मानस, श्रीमद्भागवत और ब्राह्मण ग्रंथों के मंत्र, श्लोक, छंद, दोहे, सोरठा और चौपाईयां समेत कई मंत्रों का उच्चारण किया गया. साथ ही गणेश भगवान का जप, भैरव जप, अंबिका, नवग्रह, वास्तुहोम और इसके बाद भगवान राम का प्रिय मंत्र पुरुष सूक्त का भी वाचन किया गया, इसी पुरु सूक्त के मंत्र से नौ अगिनकुंडों में 21 जनवरी की शाम को हवन भी हुई.
1. पुराण – चार लाख सात सौ मंत्र
2. श्रीमद्भागवत – एक लाख मंत्र
3. ऋग्वेद – 10,552
4. यजुर्वेद – 3988
5. सामवेद – 1875
6. अथर्ववेद – 5987
7. वाल्मीकि रामायण -24,000
8. रामचरित मानस -6002 श्लोक,दोहा, चौपाई, सोरठा, छंद
9. उपनिषद -1441
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