नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित “लेपाक्षी मंदिर” अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमय स्तंभों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां का एक ऐसा स्तंभ, जो ज़मीन को छुए बिना हवा में तैरता हुआ दिखाई देता है। यह स्तंभ न केवल वास्तुशिल्प कौशल का उदाहरण […]
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित “लेपाक्षी मंदिर” अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमय स्तंभों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां का एक ऐसा स्तंभ, जो ज़मीन को छुए बिना हवा में तैरता हुआ दिखाई देता है। यह स्तंभ न केवल वास्तुशिल्प कौशल का उदाहरण है, बल्कि इसके पीछे का रहस्य जानने के लिए हजारों पर्यटक और श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं।
लेपाक्षी मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुआ था। यह मंदिर भगवान वीरभद्र को समर्पित है, जो भगवान शिव के एक अवतार माने जाते हैं। इस मंदिर का नाम ‘लेपाक्षी’ तेलुगु भाषा के शब्दों से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उठो, पक्षी’। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां जटायु नामक पक्षी ने रावण के हाथों से माता सीता को बचाने का प्रयास किया था।
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लेपाक्षी मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके 70 स्तंभों में से एक स्तंभ है, जिसे “हैंगिंग पिलर” कहा जाता है। यह स्तंभ जमीन को छुए बिना थोड़ा ऊपर उठा हुआ है, और इसके नीचे से कपड़ा या कागज आसानी से गुजारा जा सकता है। इस स्तंभ का रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है, लेकिन इसे एक अद्भुत स्थापत्य चमत्कार माना जाता है।
लेपाक्षी मंदिर की रहस्यमयी स्तंभ के कारण यह स्थान न केवल आस्थावान लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखने वाले लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। यहां साल भर देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। खासकर त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के समय मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।
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