नई दिल्ली: ट्यूलिप के लिए मशहूर मुगल गार्डन राष्ट्रपति भवन में बना हुआ है और अब इसे अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा। इस बगीचे में ट्यूलिप के फूलों की 12 प्रजातियां हैं। 31 जनवरी से यह आम लोगों के लिए खुल जाएगा, जहां लोग तरह-तरह के फूल देख सकेंगे। राष्ट्रपति भवन में बना […]
नई दिल्ली: ट्यूलिप के लिए मशहूर मुगल गार्डन राष्ट्रपति भवन में बना हुआ है और अब इसे अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा। इस बगीचे में ट्यूलिप के फूलों की 12 प्रजातियां हैं। 31 जनवरी से यह आम लोगों के लिए खुल जाएगा, जहां लोग तरह-तरह के फूल देख सकेंगे। राष्ट्रपति भवन में बना मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला हुआ है। आपको बता दें, इसे ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। 1911 में, अंग्रेजों ने कलकत्ता से दिल्ली को अपनी राजधानी बनाई। दिल्ली में रायसीना हिल को तोड़कर राष्ट्रपति भवन तैयार किया गया था। उन दिनों राष्ट्रपति भवन को वायसराय का घर कहा जाता था।
वायसराय हाउस एडवर्ड लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था। इसके निर्माण के साथ वायसराय हाउस में एक विशेष फूलों का बगीचा तैयार किया गया था, लेकिन उस वक़्त वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की बीवी लेडी हार्डिंग को यह गार्डन बहुत पसंद नहीं आया। बाद में एक नया गार्डन नक्शा तैयार किया गया था। एडवर्ड लुटियंस ने अपना नक्शा 1917 में तैयार किया था और इसे पूरा होने में 11 साल लगे थे। यह 1928 में बनकर तैयार हुआ था। पहले तो इसमें आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी। मुगल गार्डन की खूबसूरती को आम लोगों के सामने पेश करने के लिए देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दी हरी झंडी यह तब से एक परंपरा बन गई है और अब फरवरी और मार्च के दौरान इस गार्डन को आम जनता के लिए खोला जाता है।
मुगलों के नाम पर इसका नाम पड़ने की एक खास वजह भी है। मुगल परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए मुगल बादशाह फिरोज शाह तुगलक ने देश में 1,200 बाग बनवाए। मुगलों ने दिल्ली में कई बाग भी बनवाए। इसके शालीमार बाग, साहिबाबाद या बेगम बाग जैसे कई नाम हैं जो वनस्पतियों के साथ मुगल शासन के प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट के अनुसार, एडवर्ड लुटियंस ने इस राजसी बगीचे को डिजाइन करते समय इस्लामी विरासत के साथ जोड़ा। मुगल उद्यानों का डिज़ाइन ताजमहल के उद्यानों, जम्मू और कश्मीर के उद्यानों तथा भारत और फारस के चित्रों से प्रेरित था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दौर में बगीचों का नाम मुगलों के नाम पर रखने का चलन था और उसी विरासत को ध्यान में रखते हुए इसका नाम भी मुगल गार्डन रखा गया।
इस बगीचे में यूरोपीय फूलों की क्यारियों, लॉन के साथ चबूतरों, फूलों की झाड़ियों को खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है। बता दें, मुगल उद्यान जम्मू और कश्मीर के मुगल उद्यानों, ताजमहल के आसपास के उद्यानों और भारत और फारस के लघु चित्रों से प्रभावित हैं। मुगल गार्डन को चार भागों में बांटा गया है। चूंकि इस उद्यान का नाम मुगलों के नाम पर रखा गया है, इसलिए इसका नाम बदलने का अनुरोध भी कई बार किया गया है।