आंध्र प्रदेश। आंध्र प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां तिरुपति के एक सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस चालक द्वारा ज्यादा पैसे मांगने पर एक व्यक्ति को अपने 10 वर्षीय बेटे के शव को मोटरसाइकिल पर 90 किमी दूर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मोटी रकम नहीं देने पर […]
आंध्र प्रदेश। आंध्र प्रदेश में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां तिरुपति के एक सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस चालक द्वारा ज्यादा पैसे मांगने पर एक व्यक्ति को अपने 10 वर्षीय बेटे के शव को मोटरसाइकिल पर 90 किमी दूर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. मोटी रकम नहीं देने पर पिता बेटे का शव बाइक पर लेकर निकल गया.उनके पिता बाइक पर सवार होकर उन्हें तिरुपति से करीब 90 किलोमीटर दूर अन्नामय्या जिले के चितवेल ले गए.
सोमवार की रात आरयूआईए के सरकारी सामान्य अस्पताल में इलाज के दौरान खेतिहर मजदूर के बेटे जेसवा की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई. एंबुलेंस चालक ने शव को अस्पताल ले जाने के लिए दस हजार रुपये मांगे. लड़के का पिता पैसे की अधिक मांग के कारण राशि का भुगतान करने में असमर्थ था, उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सूचित किया, जिन्होंने शव को घर लाने के लिए दूसरी एम्बुलेंस की व्यवस्था की.
आरोप है कि अस्पताल में पहले एंबुलेंस चालक ने शव को दूसरी एंबुलेंस में ले जाने से मना कर दिया और जोर देकर कहा कि शव असके ही एंबुलेंस में जाएगा. एंबुलेंस चालक के अमानवीय रवैये से नाराज युवक ने बच्चे के शव को मोटरसाइकिल पर रख दिया.
इस घटना से लोगों में आक्रोश फैला हुआ है.लोगों ने दावा किया कि इस तरह की घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं और उन्होंने अस्पताल एम्बुलेंस के चालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने अपनी एंबुलेंस चलाना बंद कर दिया है और लोगों को लूटने वाले निजी एंबुलेंस संचालकों के साथ मिलीभगत की है.
भाजपा नेताओं ने धरना दिया
विपक्षी तेदेपा और भाजपा के नेताओं ने अस्पताल में धरना दिया. उन्होंने घटना की जांच के लिए अस्पताल पहुंचे राजस्व मंडल अधिकारी (आरडीओ) को रोकने की कोशिश की. इस बीच, तेदेपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना की निंदा की.
नायडू ने ट्वीट में क्या कहा?
चंद्रबाबू नायडू ने ट्वीट किया, ‘बेगुनाह नन्हे जेसवा के लिए मेरा दिल दुखी है, जिसकी तिरुपति के आरयूआईए अस्पताल में मौत हो गई. उसके पिता ने अधिकारियों से एम्बुलेंस की व्यवस्था करने की गुहार लगाई, जो नहीं मिली. मोर्चरी वैन के पूरी तरह से उपेक्षित पड़े रहने के कारण, निजी एम्बुलेंस प्रदाताओं ने बच्चे को अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाने के लिए कहा. नायडू ने आगे कहा, ‘गरीबी से जूझ रहे पिता के पास अपने बच्चे को 90 किलोमीटर तक बाइक पर बिठाने के अलावा कोई चारा नहीं था. यह दिल दहला देने वाली त्रासदी आंध्र प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की स्थिति को दर्शाती है, जो वाईएस जगन मोहन रेड्डी प्रशासन के तहत चरमरा रही है.
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