September 17, 2024
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इस देश के लोगों की आंखें हो रही सबसे ज्यादा खराब, हर दूसरा व्यक्ति पहन रहा चश्मा

  • WRITTEN BY: Aprajita Anand
  • LAST UPDATED : September 10, 2024, 3:12 pm IST

नई दिल्ली: आज लैपटॉप, स्मार्टफोन, अर्टिफिशियल रोशनी या खान-पान का असर सबसे ज्यादा आंखों पर पड़ रहा है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी धुंधली दृष्टि से पीड़ित होगी. 50% से ज्यादा लोग मायोपिया यानि मायोपिया से पीड़ित होंगे.

सिंगापुर में आँखों की समस्याएँ क्यों बढ़ रही हैं?

सिंगापुर में छोटे बच्चों की आंखों की रोशनी कम हो रही है. हालात ऐसे हैं कि वहां के करीब 80 फीसदी युवाओं को मायोपिया है. लगभग हर दूसरा व्यक्ति चश्मा पहनने के लिए मजबूर है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मायोपिया क्या है, यह कैसे होता है और हम इससे अपनी आंखों को कैसे बचा सकते हैं. सिंगापुर नेशनल आई सेंटर (एसएनईसी) में एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ सलाहकार ऑड्रे चिया के अनुसार, यह समस्या सिंगापुर में 20 वर्षों से अधिक समय से बनी हुई है. यहां हर कोई अदूरदर्शी है. लेकिन अब ये सिर्फ सिंगापुर की ही नहीं बल्कि दुनिया की समस्या बनती जा रही है. अलग-अलग जीवनशैली, मोबाइल-लैपटॉप से ​​निकलने वाली नीली रोशनी आंखों की उम्र कम कर रही है. अमेरिका में लगभग 40% वयस्क निकट दृष्टिदोष से पीड़ित हैं, यह समस्या दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन में भी अधिक प्रचलित है. चीन में बच्चों में मायोपिया की समस्या तेजी से बढ़ी है। लगभग 76%-90% बच्चों को यह समस्या होती है.

भारत में मायोपिया का खतरा क्या है?

विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत जैसे देशों में मायोपिया की संख्या अभी भी कम है लेकिन यह तेजी से बढ़ रही है. यहां लगभग 20-30% लोगों को मायोपिया की समस्या है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर लोगों में इस समस्या के प्रति जागरूकता नहीं बढ़ाई गई तो यह समस्या गंभीर हो सकती है.

मायोपिया के लक्षण

1. दूर की चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं

2. दूर की चीजों को देखने के लिए जोर लगाना

3. आंखों में थकान और तनाव

4. फोकस की कमी

5. बार-बार सिरदर्द होना

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