देश-प्रदेश

देश में आखिरी बार 1948 में सुनाई दी थी चीतों की गूंज, कोरिया के महाराजा ने किया था उनका शिकार

नई दिल्ली। देश में 75 साल बाद चीतों की घर वापसी हो रही है। भारत में चीतों की प्रजाती को 1952 में शासकीय तौर पर विलुप्त प्रजाती की श्रेणी में रख दिया गया था। इनको आखिरी बार भारत में साल 1948 में देखने का प्रमाण मिलता है। अब लगभग 75 साल बाद अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाया गया।

1948 में अंतिम बार दिखा था चिता

उम्मीद जताई जा रही है देश में आगे आने वाले समय में चीते ही चीते दिखाई देंगे। इनको आखिरी बार 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया रियासत में देखा गया था। यहां के राजा रामनुज प्रताप सिंह ने पास के जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था। माना जाता है कि ये देश के आखिरी चीते थें। इसके 4 साल बाद चीतों को विलुप्त प्रजाती के श्रेणी में डाल दिया गया।

ऐसे किया आखिरी 3 चीतों का शिकार

बता दें कि कोरिया के राजा रामानुज प्रताप सिंह को शिकार को काफी शौक था, उन्होंने अपने जीवन काल में कई जंगली जानवर जैसे बाघ, तेंदुए, हिरण, चीतल जैसे जानवरों का शिकार किया। एक दिन महाराज शिकार के लिए जंगल गए थे और उनको पेड़ो के बीच चमकती आंख दिखाई दी। रामानुज ने उस दिशा में कई फायर किए। निशाना सही होने के कारण वहां जाकर देखा गया तो 3 चीते वहीं पड़े हुए थे। राजशाही परंपरा के अनुसार उन्होंने मरे हुए चीतों के साथ बंदूक के लिए फोटो भी खिंचवाई।

भारत में 8 चीतों की घर वापसी

भारत का चीता विलुप्त देश होना अब इतिहास बन गया है, क्योंकि आज देश की धरती पर नामीबिया से 8 चीतों का आगमन हो चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने जन्मदिन के मौके पर इन चीतों को मध्य प्रदेश (MP) के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़ेंगे। नामीबिया से आए इन 8 चीतों में से 5 मादा और 3 नर हैं।

इस विशेष विमान से लाया गया भारत

नामीबिया के इन 8 चीतों को बोइंग 747-400 (Boeing 747-400) विमान के माध्यम से भारत में लाया गया है। इनको मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल माध्यम में रखा जाएगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सचिव एसपी यादव के अनुसार चीतों को शुरूआत में क्वारंटाइन के दौरान 50×30 मीटर के घेरे में छोड़ा जाएगा।

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SAURABH CHATURVEDI

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