नई दिल्ली: इस समय बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विवाद चल रहा है. इस डॉक्यूमेंट्री को भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘प्रोपगैंडा’ करार दिया है. जहां एक बार फिर भारतीय सरकार और बीबीसी के बीच विवाद होते देखा जा सकता है. हालांकि ये पहली बार नहीं […]
नई दिल्ली: इस समय बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विवाद चल रहा है. इस डॉक्यूमेंट्री को भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘प्रोपगैंडा’ करार दिया है. जहां एक बार फिर भारतीय सरकार और बीबीसी के बीच विवाद होते देखा जा सकता है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब इस तरह की स्थिति पैदा हुई हो. आइए जानते हैं इससे पहले कब-कब भारतीय सरकार और बीबीसी के बीच टकराव देखा गया था.
बीबीसी की यह डॉक्यूमेंट्री दावा करती है कि उन्होंने अपने स्तर पर साल 2002 में होने वाले गुजरात दंगों से जुड़े कुछ पहलू की पड़ताल की है. बता दें, दंगों के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस डॉक्यूमेंटरी में ब्रिटिश सरकार की एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि गुजरात दंगों में एथनिक क्लेंज़िंग के निशान थे. इसी डॉक्यूमेंटरी और दावों से सारा बवाल शुरू हुआ जहां विवाद को बढ़ता देख सरकार ने कथित रूप से यूट्यूब और ट्विटर लिंक को हटाने के आदेश दिए हैं.
विपक्षी दलों ने इस कदम के लिए सरकार की आलोचना की है. साथ ही डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने के फैसले को सेंसरशिप करार दिया है. इसके अलावा एडवाइजरी को दरकिनार करते हुए JNU और जामिया समेत के कई युवा और छात्र संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग यूनिवर्सिटी कैंपस में करने की मांग की है. JNU में इसे लेकर पथराव भी हुए. अब जामिया में छात्रों का धरना प्रदर्शन भी जारी है.
यह पूरा मामला साल 1970 से जुड़ा है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बीबीसी को बैन कर दिया था. दरअसल जब एक शो में भारत की नकारात्मक तस्वीर पेश की गई थी. ये उस समय की बात है जब फ्रांसीसी निर्देशक लुइस मैले की डॉक्यूमेंट्री सीरीज बीबीसी पर दिखाई गई थी. इसी डॉक्यूमेंटरी पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली स्थित बीबीसी का दफ्तर 2 साल के लिए बंद कर दिया गया था.
ब्रिटिश टेलीविजन पर लुइस मैले की 2 डॉक्यूमेंट्रीज़ को 1970 की गर्मियों में कलकत्ता और फैंटम इंडिया पर प्रसारित किया गया था. इस प्रसारण के बाद ब्रिटेन में बसे भारतीयों ने भी BBC को जमकर घेरा था. विरोध का ये स्वर दिल्ली पहुंचा और उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं. दोनों डॉक्यूमेंट्रीज भारत में रोजाना की जिंदगी दिखाई गई थी. इस फिल्मांकन को भारत सरकार ने पूर्वाग्रह से ग्रसित और भारत को गलत रूप से पेश करने वाला करार दिया था. जिसके बाद बीबीसी को भारत को 2 सालों के लिए बाहर कर दिया गया था.
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