नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीएम रहे नारायण दत्त तिवारी का राजनीतिक जीवन जितना उतार-चढ़ाव भरा रहा, उनका व्यक्तिगत जीवन वैसा ही रहा. उन्हें सियासी दुनिया में एनडी तिवारी के नाम से जाना जाता है. एनडी तिवारी ने 88 की उम्र में दोबारा शादी कर खूब सुर्खियां बटोरी थीं. आइए जानते हैं कि उन्हें दोबारा क्यों शादी करनी पड़ी…
एनडी तिवारी का जन्म उत्तराखंड के नैनीताल में साल 1925 को हुआ था. उनकी पहली शादी 1954 में सुशीला सान्वाल से हुई थी. पहली शादी से एनडी को कोई संतान नहीं थी. इस बीच साल 1968 में तिवारी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं. इस बीच उनकी मुलाकात उज्जवला से होती है. उज्जवला दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ाती थीं. उनके पिता शेर सिंह अविभाजित पंजाब में मंत्री थे. इस बीच एक दिन शेर सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर उज्ज्वला और एनडी तिवारी की मुलाकात होती है.
धीरे-धीरे यह मुलाकात प्यार में बदल जाती है और फिर दोनों का एक बेटा होता है. हालांकि बाद में जब एनडी तिवारी सियासत की सीढ़ियां चढ़कर सत्ता के शिखर पर पहुंचते हैं तो वह इस रिश्ते को से पीछा छुड़वाने लगते हैं. तिवारी पहले उत्तर प्रदेश और फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनते हैं. इस बीच वह करीब 40 साल तक उज्जवला और बेटे रोहित को अपनाने से इनकार करते हैं.
इस बीच साल 2008 में उज्जवला के बेटा रोहित अदालत पहुंच जाता है. फिर कोर्ट के आदेश के बाद के बाद दोनों को डीएनए टेस्ट होता है. टेस्ट में साबित होने के बाद अदालत एनडी तिवारी को रोहित शेखर का बायोलॉजिकल फादर घोषित कर देती है. इसके बाद फिर साल 2014 में एनडी तिवारी ने 88 साल की उम्र में पूरे विधि-विधान के साथ रोहित की मां यानी उज्जवला से शादी की. इसके बाद 2018 में उनका 92 साल की उम्र में निधन हो गया.
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