नई दिल्ली: मार्च में देश की खुदरा महंगाई दर में गिरावट देखी गई है. यह पिछले 10 महीने में सबसे कम रही है. बता दें कि खाने-पीने की चीजें सस्ती होने के कारण खुदरा महंगाई दर में ये गिरावट देखी गई है. नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने शुक्रवार को महंगाई दर के आंकड़े जारी किए. […]
नई दिल्ली: मार्च में देश की खुदरा महंगाई दर में गिरावट देखी गई है. यह पिछले 10 महीने में सबसे कम रही है. बता दें कि खाने-पीने की चीजें सस्ती होने के कारण खुदरा महंगाई दर में ये गिरावट देखी गई है. नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने शुक्रवार को महंगाई दर के आंकड़े जारी किए. जिसके मुताबिक, देश की खुदरा महंगाई दर मार्च में 4.85% रही है, इससे पहले जून महीने में यह दर 4.81% थी.
महंगाई दर का मतलब है कि किसी देश में सामान और सेवाओं की कीमतें एक समय से दूसरे समय में कितनी बढ़ गई हैं. किसी भी देश की महंगाई दर को कैलकुलेट करने के लिए Consumer Price Index (CPI) का इस्तेमाल किया जाता है. CPI एक सूचकांक है जो सामान और सेवाओं की कीमतों में होने वाले बदलाव को मापता है.
ये एक तरह से ये बताता है कि रोजमर्रा की चीज़ें, जैसे सब्जी, दूध, तेल, साबुन, कपड़े, किराया, आदि कितनी महंगी या सस्ती हुई हैं. ये आम लोगों की नज़र से महंगाई को नापता है. जैसे, अगर CPI 5% बढ़ता है तो इसका मतलब है कि आम लोगों के लिए ज़िंदगी का खर्च 5% बढ़ गया है. मान लीजिए कि साल 2023 में एक किलो गेहूं की कीमत ₹50 थी. 2024 में एक किलो गेहूं की कीमत ₹55 हो गई. इसका मतलब है कि 2024 में गेहूं की कीमतें 2023 की तुलना में 10% बढ़ गई हैं. इससे CPI भी बढ़ेगा. अगर CPI इस साल 5% है तो इसका मतलब है कि पिछले एक साल में सामान और सेवाओं की कीमतें औसतन 5% बढ़ गई हैं.
कैसे होती है महंगाई दर की गणना, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक में अंतर समझें