नई दिल्ली: दिल्ली में छठ पूजा से पहले यमुना जल को लेकर राजनीति चरम पर पहुंच गई है. झागदार यमुना को लेकर बीजेपी जहां आम आदमी पार्टी पर निशाना साध रही है, वहीं आम आदमी पार्टी पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर यमुना को प्रदूषित करने का आरोप लगा रही है. मीडिया के मुताबिक, […]
नई दिल्ली: दिल्ली में छठ पूजा से पहले यमुना जल को लेकर राजनीति चरम पर पहुंच गई है. झागदार यमुना को लेकर बीजेपी जहां आम आदमी पार्टी पर निशाना साध रही है, वहीं आम आदमी पार्टी पड़ोसी राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश पर यमुना को प्रदूषित करने का आरोप लगा रही है. मीडिया के मुताबिक, पिछले 5 सालों में यमुना के पानी में प्रदूषण का स्तर 3 हजार गुना से ज्यादा बढ़ गया है. अकेले दिल्ली की बात करें तो दिल्ली सरकार 2017 से अब तक यमुना की सफाई पर 6800 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है. ओखला में यमुना में प्रदूषण का स्तर जिस स्तर पर था. वर्ष 2019 में 1200 आज 35 लाख को पार कर गया है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, यह गंदगी फ़ेकल कोलीफ़ॉर्म है, जो आमतौर पर नालों में पाई जाती है। वर्ष 2019 में ओखला आगरा नहर स्थित यमुना में फ़ेकल कोलीफ़ॉर्म का स्तर 2100 था, आज यह स्तर बढ़कर 11 लाख से अधिक हो गया है. आईटीओ इलाके में भी यमुना का यही हाल है. जहां 2019 में इस गंदगी का स्तर 2500 था, वहीं आज यह बढ़कर 2 लाख 40 हजार से भी ज्यादा हो गया है. 5 साल पहले जहां निजामुद्दीन में यमुना में गंदगी का स्तर 1500 था, वहीं आज गंदगी का स्तर 11 लाख से भी ज्यादा पहुंच गया है. ये बदतर हाल आज वजीराबाद ISBT और असगरपुर क्षेत्र में भी है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी भी नदी में फीकल कोलीफॉर्म की अधिकतम मात्रा 2500 से अधिक नहीं होनी चाहिए। कोई भी नदी तब नहाने योग्य होती है जब उसमें फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 500 से कम हो, लेकिन यमुना में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर न केवल डरावना है, बल्कि उसके अनुसार भी है. पर्यावरण विशेषज्ञ मनु सिंह के मुताबिक किसी भी नाले में फीकल कोलीफॉर्म 25 हजार से ज्यादा नहीं होता. आज यमुना नदी की हालत किसी नाले से भी बदतर हो गयी है.
डॉक्टरों के मुताबिक, आज के समय में यमुना में मौजूद फीकल कोलीफॉर्म के लेवल में नहाने से न सिर्फ त्वचा संबंधी बीमारियां होती हैं, बल्कि यह आम बात भी है। कैंसर तक की संभावना रहती है. यथार्थ हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रखर गर्ग के मुताबिक, यमुना में 35 लाख से ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म का स्तर खतरनाक है. ऐसे में लोगों को यमुना में डुबकी लगाकर नहीं बल्कि घर पर ही साफ पानी में छठ मनाना चाहिए.
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