गुवाहाटी। असम राज्य में इस साल आई बाढ़ (Flood) को ‘गंभीर प्राकृतिक आपदा’ घोषित किया गया है. ये जानकारी शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्व सरमा ने दी हैं. उन्होने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रभावित लोगों को मदद के लिए धन राशि मुहैया करा रही है ताकि वो लोग कठिनाइयों से बाहर निकल सके. केंद्र राहत और पुनर्वास के खर्च का 90 फीसदी वहन करेगी.
बता दें कि बाढ़ में छात्रों ने अपनी पाठ्यपुस्तकों को खो चुके है. विद्यार्थियों के लिए सरकार एकमुश्त 1,000 रुपए का भुगतान प्रदान करने की योजना शुरू की. एम सरमा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने “लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए हर संभव मदद करने और बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण का आश्वासन दिया है.
90 लाख लोग हुए प्रभावित
असम राज्य गत 6 अप्रैल से दो बार बाढ़ की आपदा से प्रभावित हुआ है. दूसरी बार आई बाढ़ ज्यादा विनाशकारी रही है, जिस की वजह से 90 लाख लोग या राज्य की एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई है, जबकि 195 लोग की मौत हुई हैं वहीं, 37 लोग अभी भी लापता हैं. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि “हमने इतनी भयानक बाढ़ नहीं देखी थी. हमारी प्राथमिकता है कि प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाना, उनकी सुरक्षा, चिकित्सा सहायता प्रदान करना और पानी घटने के बाद उन्हें घर लौटने में मदद करना था. यह कार्य चुनौतीपूर्ण था.”
‘बर्तन अनुदान’ के रूप में मिल रहे 3,800 रुपए
असम के सीएम बिस्व सरमा ने कहा कि 98,500 से अधिक लोगों को निकाला गया, जबकि 7,42,250 लोग विस्थापित हुए और उन्होंने राहत शिविरों में शरण ली. सीएम ने कहा, “पहली बार, राज्य सरकार ने घर लौटने वालों को ‘बर्तन अनुदान’ के रूप में प्रति परिवार 3,800 रुपये की एकमुश्त मदद प्रदान करने के लिए कदम उठाया है. लगभग 1,89,752 परिवारों की पहचान की गई और उन्हें धन राशि दी गई है. वहीं 35,000 परिवार ऐसे हैं, जिनके बैंक खाते संबंधी विवरणों को सत्यापित करने की प्रक्रिया चल रही है.
बाढ़ को कारण सड़कों, तटबंधों, स्कूलों, पुलों, सरकारी भवनों और आंगनवाड़ी केंद्रों (Anganwadi Center) जैसे क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे का आकलन और पुनर्निर्माण अगस्त में किया जाएगा. यह पूछे जाने पर कि क्या बाढ़ को ‘राष्ट्रीय समस्या’ (National Problem) घोषित किया जाना चाहिए, मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ सामाजिक संगठनों ने ऐसी मांग रखी है, लेकिन केंद्र पहले ही असम की बाढ़ को “गंभीर प्राकृतिक आपदा” घोषित कर चुका है और राज्य सरकार को स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक धनराशि मिल रही है.