नई दिल्ली: हाथरस हादसे की न्यायिक जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वकील गौरव द्विवेदी की ओर से दायर याचिका में मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है. यूपी के हाथरस में एक सत्संग कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में हुई मौतों का मामला अब इलाहाबाद […]
नई दिल्ली: हाथरस हादसे की न्यायिक जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वकील गौरव द्विवेदी की ओर से दायर याचिका में मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई है.
यूपी के हाथरस में एक सत्संग कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में हुई मौतों का मामला अब इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया है. हादसे की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पत्र याचिका दायर की गई है. यह लेटर पिटीशन इलाहाबाद हाई कोर्ट के युवा वकील गौरव द्विवेदी की ओर से पेश की गई है. अधिवक्ता गौरव द्विवेदी ने E-MAIL के जरिए चीफ जस्टिस अरुण भंसाली को लेटर पिटीशन भेजकर इस मामले को बेहद गंभीर बताया है. 116 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई.
लेटर पिटीशन के जरिए कहा गया है कि सरकारी अमले की लापरवाही और उदासीनता के कारण इतनी बड़ी घटना घटी है. ऐसे में अगर पुलिस या प्रशासन के लोग ही जांच करेंगे तो मामले में सिर्फ लीपापोती होगी और सौ से अधिक मौतों के दोषियों को सजा नहीं मिल पायेगी और उन्हें क्लीन चिट मिल जायेगी. एडवोकेट गौरव द्विवेदी की लेटर पिटीशन में हादसे में घायलों और मृतकों के परिजनों पर उचित रकम दिए जाने की मांग की है. इसके साथ घायल परिजनों के इलाज की व्यवस्था करने की भी मांग की गई है. इन परिजनों की मुफ्त इलाज होनी चाहिए. कोर्ट अगर इस पत्र याचिका को मंजूर करती है तो पब्लिक इंटरेस्ट याचिका कायम कर सुनवाई कर सकती है. इस मामले में कोर्ट कोई कठिन आदेश भी दे सकती है.
इस लेटर पिटीशन को आज यानि 3 जून को चीफ जस्टिस कोर्ट में मेंशन कर फिजिकल सुनवाई का रिक्वेस्ट करने की भी तैयारी है. तात्कालिकता के आधार पर इस मामले में तत्काल सुनवाई का भी अनुरोध किया जाएगा. कहा जाएगा कि हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से सभी घायलों को बेहतर इलाज मिल सकेगा और उनकी जान बचाई जा सकेगी.लेटर पिटीशन में यूपी के डीजीपी समेत करीब आधा दर्जन लोगों को पक्षकार बनाया गया है. बताया गया है कि यह हादसा सरकारी अमले की लापरवाही के कारण हुआ है. ऐसे में न्यायिक या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की जरूरत है.
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