September 19, 2024
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फारूक की नसों में दौड़ता है कश्मीरी पंडित का खून! बालमुकुंद कौल था परदादा का नाम

  • WRITTEN BY: Vaibhav Mishra
  • LAST UPDATED : September 16, 2024, 9:59 pm IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में 10 साल के बाद विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. केंद्र शासित प्रदेश के सभी राजनीतिक दल चुनावी प्रचार में जुटे हुए हैं. इनमें एक दल ऐसा भी है, जो दशकों तक जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर काबिज रही है. इस दल का नाम है नेशनल कॉन्फ्रेंस. J&K के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवारों में से एक अब्दुल्ला परिवार के हाथ में हमेशा से नेशनल कॉन्फ्रेंस की कमान रही है.

अब्दुल्ला ने बनाई थी पार्टी

नेशनल कॉन्फ्रेंस की स्थापना शेख अब्दुल्ला ने साल 1932 में की थी. पहले इस पार्टी का नाम मुस्लिम कॉन्फ्रेंस हुआ करता था. बाद में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों से प्रभावित होकर अब्दुल्ला ने पार्टी का नाम बदलकर नेशनल कॉन्फ्रेंस कर लिया. शेख अब्दुल्ला तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे.

इसके बाद उन्होंने अपने बेटे फारूक अब्दुल्ला को नेशनल कॉन्फ्रेंस की कमान सौंप दी. फारूक भी तीन बार जम्मू-कश्मीर के सीएम रहे. वहीं, उनके बेटे यानी शेख अब्दुल्ला के पोते उमर अब्दुल्ला एक बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा शेख अब्दुल्ला के दामाद गुलाम मोहम्मद शाह भी एक बार सीएम रहे. यानी अब्दुल्ला के परिवार के चार लोग जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं.

दादा थे कश्मीरी पंडित

बता दें कि शेख अब्दुल्ला ने अपनी आत्मकथा ‘आतिश-ए-चिनार’ में अपने पूर्वजों के बारे में बताया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि उनके (शेख अब्दुल्ला के) पूर्वज सप्रू गोत्र के कश्मीरी पंडित थे. अब्दुल्ला के दादा का नाम बालमुकुंद कौल था. सूफी मीर अब्दुल रशीद बैहाकी से प्रभावित होने के बाद उनके दादा ने इस्लाम धर्म को अपना लिया था.

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